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बुलन्द इरादों की मिसाल अनिल शिशोदिया

अगर दिल में हौसला बुलंद हो और दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो जिन्दगी न केवल आसान हो जाती है बल्कि कामयाबी और बुलंदी पर भी पहुंचा देती है। इसका स्पष्ट उदाहरण है सफल व प्रतिष्ठित ऑटोमोबाईल व्यवसायी एवं चित्तौड़गढ़ भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष अनिल शिशोदिया । 2 सितम्बर 1958 को चित्तौड़गढ़ जिले के छोटी सादड़ी में जन्मे एडवोकेट पिता एवं स्कूल टीचर माता की संतानों में से एक अनिल शिशोदिया ने 1978 में
चित्तौड़गढ़ से बी. कॉम करने के बाद आगे पढ़ाई करने की बजाय अपने बुलन्द हौसलों को परवान चढ़ाने के लिये मात्र 5000 रूपये की पूंजी से कृषि पम्पसेट का व्यवसाय प्रारंभ किया जिसे अपनी कड़ी मेहनत और लगन से
20 लाख वार्षिक टर्न ऑवर तक पहुंचा दिया। लगातार 11 वर्षों तक पम्पसेट का व्यवसाय करने के बाद वर्ष 1989 में महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ट्रेक्टर का व्यवसाय प्रारंभ किया। व्यवसाय के प्रति समर्पण का ही परिणाम था कि मात्र चार वर्षों में वर्ष 1994 में ट्रेक्टर विक्रय में नम्बर एक डीलर का स्थान हासिल किया जिस पर 2006 तक कायम रहे।
यही नहीं वर्ष 1999 के सितम्बर माह में 105 ट्रेक्टर की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री की। महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के 17 वर्षों के डीलर होने के दौरान सेल्स सर्विस और स्पेयर पार्ट्स बिक्री के क्षेत्र में चार बार राष्ट्रीय स्तर पर एवं दो बार राज्य स्तर पर बेस्ट डीलर के अवार्ड से नवाजे गये।
वर्ष 2001 में दो पहिया (ऑटोमोबाइल) के क्षेत्र में प्रवेश कर प्रतिष्ठित हीरो होंडा कंपनी की डीलरशीप हासिल की और प्रथम वर्ष में ही गोवा में आयोजित समारोह में ओवर ऑल परफॉर्मेंस का अवार्ड प्राप्त किया। सफलता का श्रेय ईमानदार व्यवसाय, टीम वर्क, लगातार सक्रियता, विक्रय वृद्धि हेतु रोड़ शो, सर्विस क्लीनिक जैसे अलग प्रयासों को देने वाले अनिल षिषोदिया चित्तौड़गढ़ जैसे कम आबादी वाले क्षेत्र में भी अपना व्यवसाय 50 करोड़ के सालाना टर्न ऑवर तक पहुंचा चुके हैं और वर्ष 2006 में बेस्ट डीलर का अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं।
माता-पिता का प्रभाव:- पिता ने हमेशा मेहनत और इमानदारी की प्रेरणा दी, वहीं माता ने लगातार हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहने की सीख दी।

जीवनसाथी का साथ:- इंदौर से बी.एससी. तक शिक्षित पत्नी के साथ को अनिल सफलता का बहुत बड़ा कारण मानते हैं। अनिल तो व्यवसाय निर्माण के दौरान लगातार व्यस्त रहे किन्तु उनकी पत्नी ने गृहस्थी और परिवार को एक सूत्र में रखने की कमान संपूर्ण कुशलता के साथ संभाली और आज भी उनकी सफलता में निरंतर अग्रसर होने में एक मजबूत स्तंभ की तरह उनके साथ खड़ी है।लक्ष्मण की तरह अनुज:- अनिल षिषोदिया की सफलता में परिवार के अन्य सदस्यों की तरह उनके अनुज अतुल षिषोदिया का अहम योगदान है। बेक व्हील, फ्रंट व्हील की तरह एक-दूसरे का पर्याय बन क्षेत्र के ऑटोमोबाइल व्यवसाय को चरम पर पहुंचा रहे हैं और साथ ही विक्रय के नये आयाम बना रहे हैं। अतुल सिसोदिया से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि वर्ष 1984 में मुंबई के लॉ कॉलेज एल.एल.बी. कर उच्च शिक्षित होने के बाद भी वकालात करने की बजाय अपने परिवार की राय से व्यवसाय को ही अपना क्षेत्र चुना और परिणाम सबके समक्ष है।
निराशा:- अपने जीवन और व्यवसाय के प्रारंभ से अब तक के सफर पर अनिल पीछे मुड़कर नजर ड़ालते हैं तो छोटी-मोटी मुश्किलों के अलावा कोई विशेष निराशा नहीं रही लेकिन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिये उन्हें हॉस्टल में पढ़ाई के लिये भेजने की वजह से उनके बचपन का पूरा आनंद नहीं उठा पाने का मलाल अनिल को हमेशा रहा।
अविस्मरणीय क्षण:- महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के सी.ई.ओ. आनंद महिन्द्रा से मिलने हेतु देशभर के 40 डीलर्स का चयन हुआ जिनमें अनिल सिसोदिया भी शामिल थे।
टू-व्हीलर व्यवसाय के प्रथम वर्ष में ही ऑवर ऑल परफॉर्मेंस अवॉर्ड। हीरो होंडा की डीलरशीप। 2006 में बेस्ट डीलर अवॉर्ड।
सामाजिक जीवन:- वर्ष 1984 से जेसीज इंटरनेशनल से जुड़े अनिल सिसोदिया ने विगत वर्ष एक और उपलब्धि हासिल की जब वे चित्तौड़गढ़ श्ूमि विकास बैंक के अध्यक्ष चुने गये। इस भूमिका पर रोशनी ड़ालते हुए उन्होंने बताया कि श्ूमि विकास बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अच्छा कार्य कर सकता है। जरूरत है तो प्रचार-प्रसार की, सिस्टम को वर्तमान समय के मुताबिक इन्फ्रा-स्ट्रक्चर डेवलपमेंट की।
व्यक्तिगत:- भारतीय मोटीवेटर शिवखेड़ा की किताबों से प्रेरणादायी कार्यशैली प्राप्त होती है’’ यह कहना है अनिल षिषोदिया का। युवाओं को वे यही मेसैज देते हैं कि अच्छी किताबें पढ़ें। गांधी, नेहरू, सुभाषचंद्र बोस जैसे महानायकों को पढ़ने से दृढ़ इच्छा-शक्ति एवं आत्मविश्वास आता हैं।
बस्केटबॉल, टेनिस, बेडमिंटन का शौक रखने वाले अनिल षिषोदिया म्युजिक व बच्चों के साथ को अपनी ऊर्जा का स्त्रोत मानते हैं।
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