हिन्दुस्तान जिंक की प्रेरणा से 215 महिला समूह बनाकर 3700 से भी अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुडीं
उदयपुर मे हिन्दुस्तान जिंक के ग्रामीण विकास कार्यक्रम का प्रभावषाली सूचकांक हैं ,ग्रामीण महिलाओं में सामाजिक और आर्थिक सषक्तिकरण। जब तक ग्रामीण महिलाएं विकास की पूरी प्रक्रिया में षामिल नहीं होगीं तब तक किसी भी तरह की तरक्की की आषा नही की जा सकती क्योंकि एक महिला ही पूरे परिवार की आधारषिला होती है। हिन्दुस्तान जिंक ने पिछले 5 वर्षों में 4 जिलों - उदयपुर ,चित्तौडगढ़, भीलवाडा और राजसंमंद में स्थित जिंक की इकाईयों द्वारा अंगीकृत गावों में ,अपने ग्रामीण विकास कार्यक्रम में सर्वप्रथम ग्रामीण महिलाओं को जागरूक और जुझारू बनाने के लिये स्वयं सहायता समूह से जोडकर संगठित किया है। बैंक से जोडकर उन्हे लघु वित्त प्रबंधन की षिक्षा दी और साक्षरता से जोडने से ग्रामीण महिलाओं के आत्मविष्वास में बढ़ोतरी हुई है । 215 महिला समूह बनाकर हिन्दुस्तान जिंक की प्रेरणा से 3700 से भी अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम से जुडकर लाभान्वित हो रही है।
हिन्दुस्तान जिंक ने ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास को निरंतर गति और अधिक बढावा देने ओैर उन्हें सफल उद्यमी बनाने के लिये महिला स्वरोजगार को नवीन दिषा दी है जिसका उददेष्य ग्रामीण महिलाओं की आय को बढाने हेतु आय संवर्द्धन कार्यक्रम संचालित करना,ग्रामीण महिलाओं में आत्मविष्वास को बढाना और लघु उद्योगों को बढावा देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना,ग्रामीण महिलाओं को सफल उद्यमी बनाकर उनकी मासिक आय बढाना और साथ ही सम्पूर्ण सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी को सुनिष्चित करना है। हिन्दुस्तान जिंक ने स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं को विभिन्न स्थानीय और जिला स्तरीय स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ जुडकर ब्लॉक प्रिन्टिग,बंधेंज ,सिलाई ,बुनाई ,कष्ीिदाकारी ,मीनाकारी राजस्थानी आभूषण जैसे पारंपरिक और बाजार मांग के अनुरूप अन्य व्यवसायों में प्रषिक्षण देकर ग्रामीण महिलाओं के हाथ मजबूत किये है
गा्रमीण क्षैत्र में प्रारंभ में परिवार और अन्य लोगों को यह विष्वास ही नहीं था कि ग्रामीण महिलाएं कम पुंजी एवं स्वयं सहायता समूह से इस तरह लघु उद्योगों की शुरूआत कर सकती है लेकिन हिन्दुस्तान जिंक के सीएसआर विभाग की टीम के घर घर जा कर जानकारी देने और प्रयास एवं साथ ही ,हिन्दुस्तान जिंक जैसे उद्योग के जुडनें, बैंक से ऋण मिलने और बिक्री बढनें के साथ ही महिलाओं के साथ साथ उनके परिवार मेें भी आत्मविष्वास का संचार हुआ है।
नियमित प्रभावषाली और सुनियोजित प्रषिक्षण मोडयूल के माध्यम से अब तक 1500 से अधिक ग्रामीण महिलाए विभिन्न व्यवसायों में प्रषिक्षण पा चुकी है। अपने बनाये उत्पादों को स्थानीय मेलों और प्रदर्षनीयों में बेच कर उचित मूल्य और मुनाफा पाने से उनका आत्मविष्वास दुगुना हुआ है। ग्रामीण महिलाएं सामाजिक रीत-रिवाजों के बीच एक स्वतंत्र सफल महिला उद्यमी के रूप में अपनी पहचान कायम कर रही है । आज स्वयं सहायता समूह से जुडी सभी ग्रामीण महिलाओं को अपना स्वरोजगार सृजन की योजना जिसे हिन्दुस्तान जिंक की सभी इकाइयों में एक विषाल अभियान के रूप में संचालित किया जा रहा है। आर्थिक रूप से स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने की दिशा में पहले से ही कार्यरत स्वयं सेवी संस्थाओं जैसे उद्यम प्रोत्साहन संस्थान,विष्वास संस्थान एवं महिला एंव बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दक्षता प्रषिक्षण कराकर इन महिलाओं को व्यवसायिक दृष्टि से हुनरमंद बनाया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज गा्रमीण महिलाएं हिन्दुस्तान जिंक के इस स्थायी आजीविका की दिषा में की गई पहल से अपना स्वरोजगार शुरू कर चुकी है और इनके बनायें हुए उत्पाद न केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं अपितू अन्य जिलों में भी उपभोक्ताओं द्वारा पसन्द कियें जा रहें है। अब उत्तरोत्तर महिलाएं अपने छोटे छोटे उद्योग चलाकर मुनाफा प्राप्त कर परिवार की आय में सहयोग दे रहीं हैं।
उदयपुर मे हिन्दुस्तान जिंक के ग्रामीण विकास कार्यक्रम का प्रभावषाली सूचकांक हैं ,ग्रामीण महिलाओं में सामाजिक और आर्थिक सषक्तिकरण। जब तक ग्रामीण महिलाएं विकास की पूरी प्रक्रिया में षामिल नहीं होगीं तब तक किसी भी तरह की तरक्की की आषा नही की जा सकती क्योंकि एक महिला ही पूरे परिवार की आधारषिला होती है। हिन्दुस्तान जिंक ने पिछले 5 वर्षों में 4 जिलों - उदयपुर ,चित्तौडगढ़, भीलवाडा और राजसंमंद में स्थित जिंक की इकाईयों द्वारा अंगीकृत गावों में ,अपने ग्रामीण विकास कार्यक्रम में सर्वप्रथम ग्रामीण महिलाओं को जागरूक और जुझारू बनाने के लिये स्वयं सहायता समूह से जोडकर संगठित किया है। बैंक से जोडकर उन्हे लघु वित्त प्रबंधन की षिक्षा दी और साक्षरता से जोडने से ग्रामीण महिलाओं के आत्मविष्वास में बढ़ोतरी हुई है । 215 महिला समूह बनाकर हिन्दुस्तान जिंक की प्रेरणा से 3700 से भी अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम से जुडकर लाभान्वित हो रही है।
हिन्दुस्तान जिंक ने ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास को निरंतर गति और अधिक बढावा देने ओैर उन्हें सफल उद्यमी बनाने के लिये महिला स्वरोजगार को नवीन दिषा दी है जिसका उददेष्य ग्रामीण महिलाओं की आय को बढाने हेतु आय संवर्द्धन कार्यक्रम संचालित करना,ग्रामीण महिलाओं में आत्मविष्वास को बढाना और लघु उद्योगों को बढावा देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना,ग्रामीण महिलाओं को सफल उद्यमी बनाकर उनकी मासिक आय बढाना और साथ ही सम्पूर्ण सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी को सुनिष्चित करना है। हिन्दुस्तान जिंक ने स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं को विभिन्न स्थानीय और जिला स्तरीय स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ जुडकर ब्लॉक प्रिन्टिग,बंधेंज ,सिलाई ,बुनाई ,कष्ीिदाकारी ,मीनाकारी राजस्थानी आभूषण जैसे पारंपरिक और बाजार मांग के अनुरूप अन्य व्यवसायों में प्रषिक्षण देकर ग्रामीण महिलाओं के हाथ मजबूत किये है
गा्रमीण क्षैत्र में प्रारंभ में परिवार और अन्य लोगों को यह विष्वास ही नहीं था कि ग्रामीण महिलाएं कम पुंजी एवं स्वयं सहायता समूह से इस तरह लघु उद्योगों की शुरूआत कर सकती है लेकिन हिन्दुस्तान जिंक के सीएसआर विभाग की टीम के घर घर जा कर जानकारी देने और प्रयास एवं साथ ही ,हिन्दुस्तान जिंक जैसे उद्योग के जुडनें, बैंक से ऋण मिलने और बिक्री बढनें के साथ ही महिलाओं के साथ साथ उनके परिवार मेें भी आत्मविष्वास का संचार हुआ है।
नियमित प्रभावषाली और सुनियोजित प्रषिक्षण मोडयूल के माध्यम से अब तक 1500 से अधिक ग्रामीण महिलाए विभिन्न व्यवसायों में प्रषिक्षण पा चुकी है। अपने बनाये उत्पादों को स्थानीय मेलों और प्रदर्षनीयों में बेच कर उचित मूल्य और मुनाफा पाने से उनका आत्मविष्वास दुगुना हुआ है। ग्रामीण महिलाएं सामाजिक रीत-रिवाजों के बीच एक स्वतंत्र सफल महिला उद्यमी के रूप में अपनी पहचान कायम कर रही है । आज स्वयं सहायता समूह से जुडी सभी ग्रामीण महिलाओं को अपना स्वरोजगार सृजन की योजना जिसे हिन्दुस्तान जिंक की सभी इकाइयों में एक विषाल अभियान के रूप में संचालित किया जा रहा है। आर्थिक रूप से स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने की दिशा में पहले से ही कार्यरत स्वयं सेवी संस्थाओं जैसे उद्यम प्रोत्साहन संस्थान,विष्वास संस्थान एवं महिला एंव बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दक्षता प्रषिक्षण कराकर इन महिलाओं को व्यवसायिक दृष्टि से हुनरमंद बनाया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज गा्रमीण महिलाएं हिन्दुस्तान जिंक के इस स्थायी आजीविका की दिषा में की गई पहल से अपना स्वरोजगार शुरू कर चुकी है और इनके बनायें हुए उत्पाद न केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं अपितू अन्य जिलों में भी उपभोक्ताओं द्वारा पसन्द कियें जा रहें है। अब उत्तरोत्तर महिलाएं अपने छोटे छोटे उद्योग चलाकर मुनाफा प्राप्त कर परिवार की आय में सहयोग दे रहीं हैं।
पवन कौशिक
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