http://4.bp.blogspot.com/-5q2Nk3tjs9Q/VKmAzEK3cyI/AAAAAAAAD_U/L2HsJAmqhFg/s1600/eyetechnews%2BHeaderpngnew1.png

पत्थर दिल हौंसले का दूसरा नाम चंद्रभान सिंह आख्या


लक्ष्य तय कर मंजिल को छूना और उससे भी बड़ी बात की उस पर बने रहना। आज के इस चहुं ओर भागती-दौड़ती एवं गलाकाट प्रतियोगिता से ग्रस्त दुनिया में बिरले लोगों के ही बस की बात है किन्तु कुछ कर गुजरने का ठोस एवं नेक इरादा हो और मन में मंजिल पाने की तमन्ना रखते हों तो सफलता हर क्षेत्र में निश्चित आपके कदम चूम सकती है। ऐसे ही इरादों एवं पाषाण जिगर हौंसलों की तमन्ना रखने वाले ग्रामीण परिवेश में जन्म लेकर चित्तौड़गढ़ जिले के भदेसर तहसील के आख्या गांव के चंद्रभानसिंह ने पिछले पांच वर्ष की अल्प अवधि में राजनीति तथा व्यवसाय का बहुत बड़ा सफर तय कर ऊंची छलांग लगाने में सफलता प्राप्त की है।
चंद्रभान सिंह चौहान का जन्म 5 सितम्बर 1976 में रामसिंह चौहान के घर में हुआ। शिक्षा का प्रारंभिक सफर ग्रामीण क्षेत्र में होने के साथ ही उच्च शिक्षा के लिये चित्तौड़गढ़ के स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्रवेश लेकर छात्र राजनीति में प्रवेश लिया, साथ ही दिल जिगर की मजबूती के चलते खेल भी कबड्ड़ी को चुना चुंकि जीवन के हर क्षेत्र में ऊँचाइयों को छूने का हौसला था। इसके चलते कबड्डी में उनका राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ तथा उनकी लोकप्रियता भी बढ़ती गई। 
चौहान ने इतिहास में एम.ए. करने के बाद अपना व्यावसायिक सफर ठेकेदारी से प्रारंभ किया। आरंभ में वर्ष 2005 में यहां चल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग पर बजरी (रेत) आपूर्ति का ठेका मिल जाने के कारण यह कार्य इनके व्यवसाय के लिये नींव का पत्थर साबित हुआ। इस व्यावसायिक सफलता के बाद चौहान ने अपनी फर्म सांवलिया इंटरप्राइजेज के नाम से सी. क्लास सार्वजनिक निर्माण विभाग में ठेकेदारी का कार्य शुरू किया तो सफलता हर समय मिलती गई। इसके बाद जिले के खान विभाग के पत्थर व बजरी के रॉयल्टी ठेके मिलते रहे जिससे इनके कारोबार में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती गई।



राजनैतिक सफर:- चंद्रभान सिंह चौहान ने छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश किया था। छात्र जीवन में छात्र संघ के चुनाव में सक्रिय रहे। चौहान को राजनीति का सफर विरासत में मिला, इनके पिता रामसिंह चौहान 1985 में आख्या ग्राम पंचायत के सरपंच बने। इसके बाद केवल आरक्षण कार्यकाल को छोड़कर अब तक सरपंच पद इनके परिवार में रहा है। चौहान फरवरी 2005 में पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद इनकी राजनीतिक गति बढ़ती गई तथा 30 सितम्बर 2006 में भाजपा भदेसर मंड़ल अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसके साथ ही 18 दिसम्बर 2006 में ग्राम सेवा सहकारी समिति के चुनाव में अध्यक्ष भाजपा समर्थित विजय रहे। इस चुनाव में स्वयं चौहान भी आख्या ग्राम सेवा सहकारी अध्यक्ष पद के लिये निर्वाचित हुए। चौहान ने 30 सितम्बर 2009 को चित्तौड़गढ़ केन्द्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद पर जैसे महत्वपूर्ण चुनाव में निर्वाचित होकर यह जता दिया कि उनका जन्म लक्ष्य प्राप्ति के लिये ही हुआ है। चौहान की इन सफलताओं की बदौलत पार्टी कार्यकर्ताओं ने दिसम्बर 2009 में एक बार पुनः पंचायती राज के चुनावों से पूर्व संगठन की बागड़ोर इनके हाथों में सौंप दी। जनवरी 2010 में ग्राम पंचायतों के सरपंच पद के चुनाव में दो-तिहाई से ज्यादा सरपंच भाजपा समर्थित विजयी हुए तथा इनकी पत्नी सुशीला कंवर आख्या ग्राम पंचायत की सरपंच बनी। पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में भले ही संख्यात्मक गणित में भाजपा पिछड़ गई हो, लेकिन 12 फरवरी को प्रधान पद पर इस गणित को बदलते हुए भाजपा समर्थित चंदरीबाई रेगर को एक मत से विजय दिलाकर पंचायत समिति का इतिहास बदल दिया। यह सफलता पंचायती राज के इतिहास में पहली बार पार्टी समर्थित प्रधान बन पाया। इसका श्रेय पार्टी कार्यकर्ताओं व चौहान की बदौलत माना जा रहा है।
खेल के प्रति रूचि:- चंद्रभान सिंह चौहान का भले ही खेल कबड्ड़ी रहा हो लेकिन इन्होंने जिले भर में आयोजित होने वाले सभी तरह के खेल में अपना आर्थिक योगदान दिया है। खेल के प्रति इनकी रूचि को देखते हुए इन्हें वर्ष 2009 में जिला कबड्ड़ी संघ का अध्यक्ष चुना गया। चौहान ने वर्ष 2009 में मंड़फिया में राज्य स्तरीय जूनियर कबड्ड़ी प्रतियोगिता का आयोजन कराया तथा चित्तौड़गढ़ जिले की टीम को विजय दिलाई।
सामाजिक सरोकार:- व्यावसायिक सफलता के साथ चंद्रभान सिंह ने समाज में गरीब तबके के उत्थान एवं दीन-हीन को आर्थिक मदद देने में भी किसी तरह की कसर नहीं छोड़ी। इसके साथ ही धार्मिक आयोजन में भी हस्त-मुक्त दान किया। सामाजिक सरोकारों से सीधा एवं सरल संबंध होने के चलते जौहर स्मृति संस्थान द्वारा जौहर मेला 2010 के दौरान चौहान को भामाशाह पुरस्कार से भी नवाजा जा रहा है।
सफलता के कारण:- चंद्रभानसिंह चौहान राजनीति के क्षेत्र में सफलता का कारण कार्यकर्ताओं से सामंजस्य एवं भाईचारे के व्यवहार एवं दुःख-सुख में साथी बनकर सहयोग करने की बदौलत मानते हैं जबकि व्यावसायिक सफलता में योजनाबद्ध कार्यक्रम एवं संतुष्टिपूर्ण सेवाएं ही इसका मूल मंत्र है।
Share on Google Plus

About amritwani.com

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment