नरेश मेनारिया :-
अक्सर यह देखा गया है कि आधी-अधूरी जानकारी होने पर या किसी की भी बातों में आकर जातक रत्न धारण कर लेते हैं किन्तु यह उचित नहीं है, क्योंकि ऐसा करने पर कई बार गलती होने की पूरी-पूरी संभावना रहती है। फलस्वरूप रत्न के कार्य नहीं करने पर जातक का स्वतः ही ज्योतिष से विश्वास उठने लगता है। जबकि हकीकत यह है कि रत्न धारण कर जातक अपने स्वास्थ्य की सुदृढ़ता, मानसिक शांति के साथ भाग्योन्नति में तेजी ला सकता है। रत्नों की भस्मी हकीम-वैद्य विभिन्न बीमारियों को दूर करने हेतु उपयोग में लेते हैं।
वस्तुतः रत्न धारण करने से पूर्व किसी कुशल देवज्ञ अथवा ज्योतिष से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।
टपने नाम या जन्म अक्षर के आधार पर स्वयं ही रत्न धारण का निर्णय कदापि न लें। जातक के जन्म के समय संबंधित गृह के मार्गी होने पर ही रत्न धारण करना उचित होगा। रत्न को गलत समय में धारण करने, निर्धारित अंगुली में नहीं पहननेे, रत्न का शुद्धिकरण न करने पर, रत्न के खंड़ित या स्क्रेच होने पर यह लाभ की बजाय हानि ही पहुंचाता है, अतः सावधानी आवश्यक है। कुशल देवज्ञ से राय लेकर ही राशिरत्न व भाग्यरत्न पहनें, अभूतपूर्व फायदा होगा।
1. माणिक्य:- इस रत्न का रंग गुलाबी होता है। असली रत्न हो तो सूर्य के सामने रखने पर इसमें से लाल रंग की किरणें निकलती है। वैसे आजकल असली रत्न कम ही मिलते हैं, मिलेंगे तो भी इतने मंहगे कि आम आदमी इसे धारण करने से पहले दस बार सोचेंगे। यह रत्न सिंह राशि के स्वामी सूर्य के लिये है। यदि किसी जातक को सूर्य की प्रतिकूलता हो तो उन्हें यह रत्न धारण करना चाहिये।
यह रत्न धनु राशि वालों के लिये भाग्य रत्न है। यह रत्न कनिष्ठा के पास स्थित अनामिका अंगुली में रविवार को विधिपूर्वक सोने या तांबे में पहना जाता है। इसे धारण करने से कई शारीरिक बीमारियों यथा - नेत्र रोग, मिर्गी, हृदय रोग, शारीरिक कमजोरी आदि में लाभ मिलता है। इस रत्न की भस्मी कई रोगों के इलाज में प्रयुक्त की जाती है। जन्मांक एक वाले इसे पहन सकते हैं।
2. मोती:- चंद्रमा से पीड़ित स्थिति होने पर जातक को कई शारीरिक और मानसिक परेशानियों से छुटकारा दिलाने वाला यह रत्न वैसे प्रत्येेक जातक मानसिक शांति हेतु धारण कर सकता है। कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा की अनुकूलता प्राप्त करने के लिये यह अत्यंत सौभाग्यवर्द्धक है। यह रत्न वृश्चिक राशि वालों के लिये भाग्यरत्न है। जन्मांक दो वाले इस रत्न को जरूर पहनें। यह रत्न विधिपूर्वक सोमवार को कनिष्ठा या अनामिका अंगुली में पहना जाता है।
3. मूंगा:- इस रत्न का संबंध मंगल ग्रह से है। मेष एवं वृश्चिक राशि वालों के लिये यह राशिरत्न व मीन राशि वाले जातकों के लिये यह भाग्यरत्न है अर्थात् भाग्य में वृद्धि लाने वाला रत्न है। जन्मांक 9 वाले इसे पहन सकते हैं। इस रत्न का वैज्ञानिक नाम ’आइसिस नोबोल्ज’ है। यह लाल या सिंदूरी रंग में पाया जाता है। इसे धारण करने से चर्म व रक्त विकार दूर होता है। सोने या तांबे में मंगलवार को विधिपूर्वक अंगुली में पहना जाता है।
4. पन्ना:- यह रत्न बुध ग्रह के लिये है। मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध की अनुकूलता प्राप्त करने हेतु यह अत्यंत लाभदायी है। जन्मांक 5 वाले जातक इसे पहन सकते हैं। इस रत्न को संस्कृत में ’मरकत’ कहते हैं। यह चार प्रकार के तत्वों से बनता है - ऑक्सीजन, बेरिलियम, एल्युमिनियम एवं सिलिका। यह रत्न बुध की अंगुली कनिष्ठा में बुधवार को विधिपूर्वक पहना जाता है।
5. पुखराज:- वृहस्पति या गुरू की अनुकूलता प्राप्त करने हेतु यह रत्न गुरूवार को तर्जनी अंगुली में सोने या तांबे में पहना जाता है। असली पुखराज पारदर्शी होता है। यह सफेद, बसंती व पीले रंग में पाया जाता है किन्तु पीला पुखराज ही ज्यादा प्रयुक्त होता है। नम हवाएं ग्रेनाइट व प्रमेनाइट बी की चट्टानों से टकरा कर यह रंग उत्पन्न करती है। धनु एवं मीन राशि के स्वामी गुरू की अनुकूलता प्राप्त करने हेतु संबंधित राशि वाले इसे जरूर पहनें। यह रत्न कर्क एवं मेष राशि वाले जातकांें के लिये भाग्यरत्न है।
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