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सकर्मक दर्शक बनाना ही हमारा उद्देश्य

चित्तौड़गढ़ नवम्बर 2014 
इस बाज़ार केन्द्रित व्यवस्था में वंचित वर्ग की पीडाओं को सिनेमा  के माध्यम से सामने लाना और दर्शक वर्ग को पीड़ा के प्रतिकार की दिशा में सक्रिय करना प्रतिरोध के सिनमा का लक्ष्य है। यह बात डूंगरपुर से आए फिल्म समीक्षक हिमांशु पंड्या ने चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी के आयोजन में कही। सोलह नवम्बर की सुबह सेन्ट्रल अकादमी स्कूल  में रखे गए सिनेमा केन्द्रित सत्र में पंडया ने जोर देकर कहा कि हमारा प्रयोजन सही सिनेमा को सही दर्शकों तक पहुँचाना है।राष्ट्रीय संयोजक और फ़िल्मकार संजय जोशी ने कहा कि यह सिनेमा वस्तुत: सामुदायिक सिनेमा है। जन संसाधनों से जनता के लिए निर्मित इस सिनेमा की सफलता जन रूचि के परिवर्तन में निहित है। उन्होंने बताया कि आज सस्ती और सर्वव्यापी तकनीक ने जन सिनेमा का निर्माण संभव कर दिया है। आयोजित पैनल चर्चा में बोलते हुए सिने जानकार लक्ष्मण व्यास ने कथित मुख्यधारा के समानान्तर जनपक्षधर सिनेमा की आवश्यकता को रेखांकित किया। डॉ.ए.एल.जैन ने कहा कि देश की बड़ी आबादी धीमी मौत मर रही है और इस सिनेमा में उसकी व्यथा का स्वर सुनाई देता है


इस मौके पर दर्शकों के साथ हुए संवाद में कौटिल्य भट्ट, डॉ.राजेश चौधरी सहित कई लोगों ने हिस्सा लिया।सत्र में दिखाई गयी फिल्मों में मृणाल सेन निर्देशित भुवनसोम का अंश और वियतनाम युद्ध पर आधारित फिल्म नेबर्स शामिल हैं।अतिथि वक्ताओं को स्थानीय चित्रकार मुकेश शर्मा के बनाए  चित्र भेंट किए गए।आखिर में उदयपुर से आए शैलेन्द्र प्रताप सिंह भाटी ने अपने छात्रों के साथ जन गीत तू ज़िंदा है तो ज़िंदगी की जीत में यकीन कर प्रस्तुत किया।आयोजन में सेन्ट्रल एकडमी प्राचार्य अश्लेष दशोरा, शहर के वरिष्ठ नागरिक भंवर लाल सिसोदिया, आनंद छीपा, डॉ.खुशवंत सिंह कंग, डॉ.साधना मंडलोई,संजय जैन, अभिषेक शर्मा,  डॉ. सुमित्रा चौधरी, सरिता भट्ट, अपनी माटी सह सम्पादक कालू लाल कुलमी, सहित कई लोग मौजूद थे।

इससे पहले शनिवार शाम सैनिक स्कूल के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शंकर मेनन सभागार में भी एक सत्र का आयोजन किया गया जिसमें द चेयरी टेल, द केबिन मेन, प्रिंटेड रेनबो, चिड़ियाघर जैसी लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।बाद में स्कूल प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल अजय ढील की अध्यक्षता में फ़िल्म सोसायटी की एक ज़रूरी बैठक भी हुयी।इस दो दिवसीय फ़िल्मोत्सव के तीनों सत्रों में एक पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गयी जिसका संयोजन मोहम्मद उमर, आशा सोनी और सांवर जाट, संयम पुरी, पूरण रंगास्वामी, मनीष भगत ने किया। सभी सत्रों का संचालन माणिक ने किया

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