विशाल कलश यात्रा के साथ अमृत ज्ञान गंगा का प्रवाहन..
नीमच भागवत जीवन जीने का मार्ग बताती है। अज्ञानता में जीवन यापन कर रहे मनुष्यो को प्रकाश रूपी मार्ग पर ले जाती है भागवत से व्यक्ति के सभी विकारो का नाश हो जाता है और भागवत मनुष्य को जीते जी मोक्ष प्रदान कर देती है उक्त विचार अरावली पहाडी की तलहटी में बसे मोरवन ग्राम में श्री बालाजी मन्दिर निर्माण समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव में आध्यात्मिक पांडाल में भागवत भास्कर संत षिरोमणि मिथिलेश नागर ने व्यक्त किए।
संत श्री ने कहा कि इस सृष्टी में तीन शक्तिया विद्यमान है, जिन पर विष्वास कर व्यक्ति सर्वज्ञ बन जाता है, वह है माॅ, महात्मा और परमात्मा। दीन हीन बनकर माॅ की षरण में जायेगे तो वह अपने आॅचल में छुपाकर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर धनवान बना देगी, अज्ञानी बनकर महात्मा की शरण में जायेगे तो वह हमे ज्ञान रूपी प्रकाश प्रदान कर देगा और इस आडम्बरयुक्त जीवन से मुक्ति और मोक्ष के लिए परमात्मा की शरण में जायेगे तो वह हमे मोक्ष प्रदान कर देगा। कथा के दौरान संत श्री ने मनमोहक भजनो जिसमें अम्बे चरण कमल है तेरी................, उमा कहु मै अनुभव अपना............., मंगलाचरण........... आदि से
कथा पाण्डाल में उपस्थित श्रद्धालु भक्त मंत्रमुग्ध होकर थिरकते रहे।
कथा का शखनाद सरस्वती शीशु मन्दिर परिसर में स्थित श्री बालाजी मन्दिर से सुसज्जित अष्वो ,151 कलश एवं बैण्ड बाजो ,ढोल ढमाको ,आतिशबाजी और पुष्पवर्षा के साथ मोरवन की मुख्य मार्गो से श्रीमद् भागवत की विशाल शोंभा यात्रा निकाली गई जो बस स्टेंड स्थित डाक बंगले पर आध्यामिक कथा पाण्डाल में पहुची। कथा कार अंशोंचलवासियो ने अमृतपान किया।
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