नई दिल्ली, 07 जून, 2015।दक्षिणी
राजस्थान में झीलों की नगरी उदयपुर के एक बुजुर्ग शख्सियत श्री जितेन्द्र
मोहन भट्ट ने 77 वर्ष की उम्र में अपनी पढ़ने लिखने की ललक से लखनऊ (उ.प्र.)
की शिक्षण संस्था इंडियन साइंस कम्यूनकेशन सौसायटी (आई.एस.सी.ओ.एस.) से
’’साइंस जर्नलिजम‘‘ में प्रथम रेंक से डिग्री हासिल कर एक कीर्तिमान बनाया
है। कहते है न कि
पढ़ने... लिखने और सीखने की कोई उम्र नही होती...........यदि व्यक्ति के मन
में इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प हो तो किसी भी उम्र में कोई भी कारनामा किया
जा सकता है। श्री भट्ट ने इस बात को चरितार्थ कर दिखया है।अपने
शिक्षक परिवार से विरासत में मिली धरोहर को संजोकर साधारण परिवार में पले
बढ़े श्री भट्ट ने स्वयं भी एक शिक्षक से शिक्षा विभाग के कई अहमं पदों पर
स्थान पाने के बाद सेवानिवृत्ति पाई। लेकिन उदयपुर के विज्ञान शिक्षण एवं
शोध प्रशिक्षण संस्थान (एस.आई.ई.आर.टी.) में बनाये कई अनूठे मॉडल्स एंव
प्रशिक्षण की कला में दक्षता रखने के अनुभव को कभी नही भूला कर लिखने-पढ़ने
और प्रवचन की कला को कभी नही छोड़ा। श्री
भट्ट ने ’‘विज्ञान पत्राकारिता‘‘ के नये विषय में शोध परक अध्ययन को एक
चुनौती के रूप में स्वीकार किया और ऑन लाईन परीक्षा देकर इसमें ’प्रथम
रेंक‘ हासिल करने का कीर्तिमान बना लिया। इनकी अर्द्धागिनी श्रीमती दममंती
भट्ट और अन्य परिवार जनों में भी उनका पूरा सहयोग किया।
उदयपुर के बुजुर्ग श्री जितेन्द्र मोहन भट्ट ने बनाया कीर्तिमान पढ़ने सीखने की ललक से ‘‘साइंस जर्नलिजम’’ में हासिल की प्रथम रेंक से डिग्री
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