उज्जैन । कालिदास पूरे देश का गौरव हैं और उज्जैन नगरी से पूरे विश्व को संस्कृति का सन्देश मिलता है। उज्जैन की महिमा का वर्णन नहीं की जा सकती। यह पवित्र नगरी तो है ही, लेकिन देश-विदेश की संस्कृति की परिचायक भी है। संस्कृति के दर्शन करना हो तो उज्जैन आकर रहें। कालिदास ने महाकाव्य रघुवंशम् लिखा। यह आज भी सटीक है। राज्य और प्रजा के सम्बन्ध कैसे होते हैं, इसके बारे में लिखते हुए महाकवि कालिदास कहते हैं कि आदर्श राजा के लिये प्रजा सन्तान जैसी होती है, वह उसका पूरा ध्यान रखता है। किसी राजा के राज्य में यदि प्रजा दु:खी होती है तो वह राजा दण्ड का भागी होता है। आज हम जिस गुड गवर्नेंस की बात कहते हैं, उसका विषद चित्रण कालिदास ने अपने महाकाव्य में किया है। महाकवि कालिदास को प्रासंगिक बनाने के लिये उनके विचारों का क्रियान्वयन करने के लिये कालिदास समारोह का आयोजन कर निश्चित रूप से प्रशंसा का कार्य किया जा रहा है। हरियाणा के राज्यपाल श्री कप्तानसिंह सोलंकी ने यह बात आज कालिदास समारोह के समापन अवसर पर मुख्य
अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कही। इसके पूर्व हरियाणा के राज्यपाल श्री कप्तानसिंह सोलंकी ने विधायक डॉ.मोहन यादव, श्री बहादुरसिंह चौहान, श्री अनिल फिरोजिया, सारस्वत अतिथि श्री कमलेशदत्त त्रिपाठी, प्रभारी कुलपति श्री एच.पी.सिंह एवं कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक श्री पी.के.झा की उपस्थिति में महाकवि कालिदास एवं पं.सूर्यनारायण व्यास के चित्र पर दीप दीपन कर कार्यक्रम की शुरूआत की। स्वागत भाषण प्रभारी कुलपति श्री एच.पी.सिंह ने दिया। सारस्वत भाषण संस्कृत के विद्वान श्री कमलेशदत्त त्रिपाठी द्वारा दिया गया। श्री त्रिपाठी ने कहा कि महाकवि कालिदास राष्ट्रकवि थे तथा कालिदास समारोह राष्ट्रीय पर्व है। समारोह के राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्वरूप को पुन: स्थापित किया जाना चाहिये। कालिदास के साहित्य में सांस्कृतिक एकता, विश्व बंधुत्व तथा विश्व एकात्मता का सन्देश मिलता अत: कालिदास
समारोह के माध्यम से इसे समूचे विश्व में पहुंचाया जाना चाहिये।
पुरस्कार वितरण समापन समारोह में हरियाणा के राज्यपाल श्री कप्तानसिंह सोलंकी ने चित्रकला एवं मूर्तिकला प्रतियोगिता के विजेताओं को 51-51 हजार रूपये के चेक एवं प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया। सम्मान पाने वालों में चित्रकला में अहमदाबाद के श्री प्रशांत एम.पटेल, आष्टा की श्रीमती अलका पाठक, उज्जैन के श्री जगदीश नागर, श्रीमती प्रतिभा सिंह शामिल हैं। मूर्तिकला में श्री नीतेश विश्वकर्मा को पुरस्कृत किया गया। राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तर्महाविद्यालयीन वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता तथा स्कूली विद्यार्थियों की प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अन्त में आभार संस्कृति विभाग के आयुक्त श्री राजेश मिश्रा द्वारा व्यक्त किया गया।
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