
वास्तव में करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है जो पति-पत्नी के बीच होता है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत रख पत्नी अपने पति के प्रति यही भाव प्रदर्शित करती है। स्त्रियां श्रृंगार कर

हिंदू धर्म में पुरातन काल से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है। इस व्रत में विवाहित स्त्रियों दिनभर निराहार तथा निर्जला (बिना पानी पीए) रहना पड़ता है। इसके बावजूद विवाहित महिलाओं को इस व्रत का खासतौर पर इंतजार रहता है। यही इस पर्व की विशेषता है।
मेहंदी बिना अधूरा करवा चौथ : पूरे साज-श्रृंगार के साथ मेहंदी के बिना करवाचौथ का व्रत अधूरा माना जाता

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