चित्तौड़गढ़ 10 अक्टूबर। बालव्यास राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा कि भले ही राजा-महाराजाओं की बातें जूनी हो जाये, लेकिन भक्तों स्मृतियां हमेशा ताजा विद्यमान रहती हैं। उन्होंने कहा कि जो रस भगवान की कथा में मिलता है वहीं भक्ती रस भक्तों की कथा में भी निहीत हैं। क्योंकि भगवान स्वयं भक्तों की कथा श्रोता बनकर विराजित रहते हैं। उन्होंने गुजरात की जूनागढ़ निवासी नागर समाज के नरसिंह भक्त की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बचपन में माता-पिता के निधन के बावजूद दादी के सानिध्य में गुंगे बहरे नरसिंह भगत शिवरात्रि को एक सिद्ध सन्त के आशीर्वाद से जब राधाकृष्ण का नाम उच्चारण करने लगे तो उनका जीवन ही कृष्णभक्ति में लीन हो गया।
राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा कि भगवान का भक्त संसार के राग द्वेष से ऊपर रहता हैं। इसीकारण भक्त शिरोमणि मीरा और नरसिंह भगत इसी भाव से दूनिया में आज भी विद्वमान हैं। उन्होंने भक्त शिरोमणि मीरा के जन्मोत्सव पर नरसिंह भक्त और नानीबाई का मायरा की कथा का सामन्जस्य बिठाते हुए कहा कि यह सुखद सहयोग है कि ऐसे पावन अवसर पर एक भक्त की नगरी में दूसरे भक्त की मनभावन कथा का आयोजन मीरा स्मृति संस्थान द्वारा किया जा रहा हैं।
भक्त शिरोमणि मीरा के जन्म दिन शरद पूर्णिमा की पूर्व संध्या आश्विन शुक्ला चतुर्दशी, सोमवार की संध्या वेला में स्थानीय गोराबादल स्टेडियम में आयोजित नानीबाई का मायरा कथा का व्यास पीठ से बालव्यास राधाकृष्ण जी द्वारा ‘मेरो प्यारो नन्दलाल-किशोरी राधे’ संकीर्तन से शुभारम्भ किया। दुधिया रोशनी और चन्द्रमा की धवल किरणों के बीच बालव्यासजी ने भगवान की परमप्रिय सखी मीरा को प्रणाम करते हुए कहा कि प्रभु भक्तों की महिमा अनन्त और व्यापक हैं। उन्होंने कथा श्रवण में बुजूर्गों की अधिक उपस्थिति पर अपनी चिर परिचित मारवाड़ी हेली प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘जन्तर पड़गया जोग रामारी हेली’ के माध्यम से वृद्धावस्था की वस्तुस्थिति पर प्रकाश डाला।
प्रारम्भ में आयोजन के मुख्य अतिथि जिला एवं सेशन न्यायधीष वी.के. व्यास, नगरपालिका अध्यक्ष गीतादेवी, विशिष्ट अतिथि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के.सी. मोड़, संस्थान के अध्यक्ष भंवरलाल शिशोदिया, सचिव प्रो. एस.एन. समदानी, हिन्दुस्तान जिंक के उपमहाप्रबन्धक मानव संसाधन पी.के. चतुर्वेदी, बिरला सीमेन्ट के अध्यक्ष वी.के. हमीरवासिया, संस्थान के न्यासी नवरतन पटवारी आदि ने बालव्यास राधाकृष्णजी महाराज का भावभीना स्वागत किया। वहीं महाराज श्री द्वारा सभी अतिथियों को उपरना ओढ़ाया गया। कथा स्थल का पूरा पाण्डाल खचा-खच भरा हुआ था और महाराज श्री के भजनों पर भक्त खूब आनन्दित हो रहे थे।
रामप्रसाद मुन्दड़ा
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