ये विचार नामचीन कथकली नर्तक कलामंडलम गोपी ने चित्तौड़ के सेन्ट्रल अकादेमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में नौ सितम्बर,शुक्रवार को हुए एक स्पिक मैके आयोजन में कहे.ये आयोजन स्पिक मैके की विरासत कड़ी का हिस्सा थे जिसे हाल ही दिवंगत हुए उस्ताद असद अली खां और उस्ताद फहीमुद्दीन डागर की याद में आयोजित किया रहा है.पद्मश्री से नवाजे जा चुके गोपी इस चाहोंत्तर साला उम्र में भी भ्रमण कर अपने आठ सदस्यीय दल के साथ इस गहरी नाट्य परम्परा को बच्चों तक पहुंचाने में लगे हुए हैं.दल के प्रबंधक और गुरु रमनकुट्टी नैयर के पुत्र पी.अप्पाकुट्टी ने पूरी प्रस्तुति को सूत्रधार के तौर पर संभाले रखा। कार्यक्रम में स्कूल प्राचार्य अश्रलेश दशोरा, स्पिक मैके समन्वयक जे.पी.भटनागर,कोलेज प्राध्यापिका डॉ. माधुरी गुप्ता,विजन कोलेज स्पिक मैके प्रभारी दर्शना गर्ग,स्पिक मैके सलाहकार ओम स्वरुप सक्सेना,एस.के.शर्मा,नृत्य प्रशिक्षु ज्योति सोनी ने दीप-प्रज्ज्वलन, अथिति माल्यार्पण आदि की रस्म अदा की.मंच सञ्चालन अध्यापिका सुनीता शक्तावत और संस्कृतिकर्मी माणिक ने किया।
विद्यालय में छात्रों द्वारा सस्वर प्रार्थना के साथ आरम्भ हुए कार्यक्रम में पहले कथकली की वर्णमाला के तौर पर कलामंडलम कृष्णाकुट्टी
ने मुद्राएं अभिनीत की.हिन्दी में अ-आ सीखने वाले बच्चों ने आश्चर्य के साथ इस दिन पताका, मुष्ठी, कपितम, अंजली, अर्धचंद्र, पल्लव, मुकुल, कटकामुखं आदि सीखा। रोंगटे खड़े करने और रोमांचित कर देने वाले मुहावरे इस दिन सजीव रूप से फिट हो रहे थे। पूरी ईमानदारी से बच्चे गुरु की आँखों में गढ़े हुए नजर आए.अभी तक टी.वी. के भरोसे ही शास्त्रीय नृत्य जैसी चीजे देखने और सुनने के आदि विद्यार्थियों को यहाँ साक्षात गुरु के संग ये अनुभूति हुई.आयोजन के मुख्य आकर्षण गुरु गोपी ने पहले नवरस की प्रस्तुति दी और बाद में अपने शिष्य कृष्णाकुट्टी के साथ महाभारत के कल्याणसुगंधम आख्यान को परोसा.पांचाली जैसी पत्नी के हित पति भीम द्वारा येनकेन सुगंध कल्याण जैसे फूल लाने और इस पर उनके आपसी संवाद का अभिनय किया गया।
प्रस्तुति के अंतिम और तीजे भाग में कोट्टाकल प्रदीप ने गदाधर भीम और रामभक्त हनुमान के बीच के संवाद पर अभिनय किया,जब भीम के रास्ते में हनुमान वानर रूप में सो जाते हैं और भीम गुस्सा करते हैं। तभी हनुमान से वार्तालाप करने और आखिर में उनके असल रूप को पहचानने पर शर्मिन्दा होने भाव को बहुत बेहतरी से दर्शकों के मानसपटल पर उकेरा.प्रस्तुति का आखिरी हिस्सा इसलिए भी खास रहा क्योंकि बहुत देर तक इंतजार करने के बाद कथकली का वास्तविक और लोकप्रिय मेकअप बच्चों के सामने आया. जहां छतरीनुमा पहनावे के साथ ही मुखौटेनुमा चेहरा आकर्षित करता ही है.बाकी संगतकलाकारों में शास्त्रीय गायक कलामंडलम श्रीकुमार, मृदला वादक सदानम दानिश, मेकअप कर्ता कलानिलियम शंकरन और चेंड़ा वादक कलामंडलम देवराजन भी शामिल समझे।
माणिक
विद्यालय में छात्रों द्वारा सस्वर प्रार्थना के साथ आरम्भ हुए कार्यक्रम में पहले कथकली की वर्णमाला के तौर पर कलामंडलम कृष्णाकुट्टी
प्रस्तुति के अंतिम और तीजे भाग में कोट्टाकल प्रदीप ने गदाधर भीम और रामभक्त हनुमान के बीच के संवाद पर अभिनय किया,जब भीम के रास्ते में हनुमान वानर रूप में सो जाते हैं और भीम गुस्सा करते हैं। तभी हनुमान से वार्तालाप करने और आखिर में उनके असल रूप को पहचानने पर शर्मिन्दा होने भाव को बहुत बेहतरी से दर्शकों के मानसपटल पर उकेरा.प्रस्तुति का आखिरी हिस्सा इसलिए भी खास रहा क्योंकि बहुत देर तक इंतजार करने के बाद कथकली का वास्तविक और लोकप्रिय मेकअप बच्चों के सामने आया. जहां छतरीनुमा पहनावे के साथ ही मुखौटेनुमा चेहरा आकर्षित करता ही है.बाकी संगतकलाकारों में शास्त्रीय गायक कलामंडलम श्रीकुमार, मृदला वादक सदानम दानिश, मेकअप कर्ता कलानिलियम शंकरन और चेंड़ा वादक कलामंडलम देवराजन भी शामिल समझे।
माणिक
Blogger Comment
Facebook Comment