नवाचारी कौशल के ज़रिये वे विश्व भर में बहुत सराही गयी है.उन्होंने वादन की अपनी विलग स्टाईल इजाद की है.एमस्तार्दम में पानी कोलेज शिक्षा के दौरान उन्हें शास्त्रीय संगीत ने आकर्षित किया और वे उन्नीस सौ चौरानवे से ही ये संगीत सीख रही है.उन्होंने ये कला पंडित डी.के.दातार,पंडित हरी प्रसाद चौरसिया और पंडित दीपक चौधरी से सीखी है.मात्र आठ साल की उम्र से ही संगीत की तरफ झुकाव वाली सास्किया राव मिहर घराने की स्टाईल को अनुकरण कर रही हैं.
संस्कृतिकर्मी माणिक
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