चित्तौड़गढ़़। मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम मण्डपिया स्थित श्री सांवलिया सेठ का त्रिदिवसीय जलझूलनी एकादशी मेला शुक्रवार को निःशक्तजनों को ट्राई साइकिल वितरण एंव 16 गावों के प्रतिभावान विद्यार्थियोें को सम्मानित करने के साथ ही सम्पन्न हो गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलेक्टर वेदप्रकाश ने मेले की शानदार व्यवस्थाओं के बीच इसकी ऐतिहासिक सफलता पर मंदिर मण्डल को बधाई देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि जन-जन के आराध्य सांवलिया सेठ के सभी भक्तों को मण्डल की ओर से हर सम्भव सुविधा के अनवरत प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि सांवलिया जी में पिछले कुछ माह में विकास कार्याें ने किर्तीमान स्थापित किया है और इस बार का मेला वृहद् रूप से आयोजित किया इसी के साथ मंदिर पर की गई सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी श्रद्धालुओं पर अपनी छाप छोड़ गये है। आगामी समय में मंदिर का और विस्तार किया जाकर विकास की गति को बढ़ाया जायेगा। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा, मंदिर मण्डल के मुख्यकार्यकारी अधिकारी एवं अतिरिक्त जिला कलक्टर सुरेश चन्द्र, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नारायण सिंह राजपुरोहित, मंदिर मंडल के निवर्तमान अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर आदि ने निःशक्तजनों को ट्राई साईकिल का वितरण किया। समारोह में सांवरिया जी के 16 गांवों में आठवीं, दसवीं, बारहवीं एंव महाविद्यालय स्तर की परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले करने वाले विद्यार्थियों के साथ ही स्वैच्छिक सेवाएं देने वाले इंजिनियर श्याम सुन्दर जोशी और अकबर अली का सम्मान किया गया।
मेला समापन के साथ नया बोर्ड गठित
विधायक अर्जुन लाल जीनगर ने मेले के समापन अवसर पर अवगत कराया कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने जिले के सांवलिया जी मंदिर मंडल के गैर सरकारी अध्यक्ष एवं सदस्यों के मनोनयन को मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने मंदिर मंडल में मण्डफिया निवासी सत्यनारायण शर्मा को अध्यक्ष, भैरूलाल सोनी, भैरूलाल गाडरी, गिरीलाल गुर्जर, विजय सिंह, भैरूलाल जाट, मदनलाल व्यास तथा कपासन विधायक को सदस्य मनोनीत करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस घोषणा के साथ ही समारोह में नव मनोनीत अध्यक्ष एंव सदस्यों का मंदिर मण्डल की ओर से उपरना ओढा कर स्वागत किया गया।
अन्तिम दिन मांगणिया कलाकारों ने समा बांधा
सांवलिया जी में आयोजित तीन दिवसीय जलझूलनी मेले के अन्तिम दिवस समापन समारोह का आयोजन मंदिर के सामने स्थित मंच पर किया गया। इस अवसर पर भुट्टे खाँ के साथ आये मांगणियार दल और कालबेलिया नृत्यांगनाओं ने अपनी प्रस्तुतियों से ऐसा समां बांधा कि दर्शक देर रात तक उनकी प्रस्तुतियों को आनंद लेते रहे। कार्यक्रम में लंगा कलाकारों ने ताल कचहरी वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति के साथ केसरिया बालम पधारो म्हारे देश, सांवरिया रा नाम हजार, कणी नाम लिखूं कंकोत्री जैसे लोकप्रिय गीत एंव भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। इस दौरान कालबेलिया नृत्य और दमादम मस्त कलंदर गीतों पर श्रोता झूमने को मजबूर हो गये।
मंदिर का मौर पंख बना कौतूहल का विषय
सांवलिया जी मंदिर एंव समूचे कोरीडोर में जलझूलनी एकादशी पर आर्कषक सतरंगी विद्युत सज्जा की गई थी। मेले के दौरान लगाये गये सी सी टीवी कैमरों में जब मंदिर के शिखर के पास रथ यात्रा खत्म होने के बाद एक हरे प्रकाश का बिंब नजर आया जो मोर पंख की तरह दिखाई दे रहा था। इसे देखकर वहां काम कर रहे लोगो में अचानक आये इस प्रकाश से चमत्कार होने पर चर्चा होने लगी। लोग कई तरह के कयास लगाने लगे विद्युत सज्जा करने वाले जुबैर खान ने बताया कि उन्होंने पूरे मंदिर में कहीं भी हरा इफेक्ट नहीं दिया है। जबकि मंदिर के पास आसमान में मोर पंख की तरह हरी रोशनी को लोग भगवान सांवरिया सेठ का चमत्कार मानने लगे। कुछ जानकारों का कहना था कि मौसम में ओस और बिजली के संयुक्त प्रभाव से इस प्रकार की रोशनी हो सकती है। जिस प्रकार इन्द्र धनुष के रंग बनते हैं पर मंदिर के शिखर पर रथ यात्रा के बाद ही यह प्रभाव दीखने और बाकी दिनों में ऐसी रोशनी नहीं दीखने के कारण मोर पंख की अनूभूति को लोग सांवलिया सेठ का चमत्कार मानने लग
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