चित्तौड़गढ़़ 25 सितम्बर। प्रसिद्ध पंजाबी गायक दलेर मेहंदी ने ठेठ पंजाबी अदांज में सांवलिया के कई भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं को सराबोर कर दिया। देवझूलनी एकादशी मेले के मुख्य दिवस गुरूवार को रात्रि को रेफरल चिकित्सालय के मंच पर दलेर मेहंदी ने सावरिया सेठ के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हुए ‘‘सांवरिया मोरे सांवरिया‘‘ भजन से कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए उनके प्रसिद्ध ‘‘तुड़क-तुड़क धून धा धा धा‘‘ को भी सांवलिया जी से जोड़ते हुए जब प्रस्तुत किया तो परिसर में मौजूद बड़ी संख्या में श्रोता भी नृत्य करने लगे। उन्होंने बाल कृष्ण की लीलाओं को भी अपने ही अंदाज में प्रस्तुत करते हुए समूचे वातावरण को कृष्ण भक्ति में रंग दिया। दलेर ने अपने चिर परिचित अंदाज में लगभग दो घंटे तक अपनी पाॅप व पंजाबी गायकी की दौरान सांवलिया सेठ के कई मन भावन भजन प्रस्तुत कियें, जिनमें ‘‘कृष्ण मोरे नंदलाला‘‘ जैसे भजनों पर युवाओं ने खूब ठुमके लगाये। इस मौके पर सपरिवार सांवलिया जी आये दलेर मेंहदी ने कहा कि इस पावन धरती पर आकर वे धन्य हो गये। उन्होंने कहा कि सांवलिया सेठ ऐसे चमत्कारी है जो सबकी मनोकामना पूर्ण करते है ऐसे में इस दरबार में आये सभी सांवलिया भक्तों की मनवांछित अवश्य पूर्ण होंगी। भक्ति सरिता के प्रारम्भ में मंदिर मण्डल के अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश चंद्र एंव मंदिर मण्डल के सदस्यों ने दलेर मेंहदी का उपरणा ओढा कर व सांवलिया जी छविं भेट कर आत्मिक स्वागत किया। उनके साथ आये सा रे गा मा पा गु्रप के कलाकारों ने भी कई मनभावन भजनों की प्रस्तुती के साथ फिल्मी गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं की खूब तालिया बटोरी। वहीं शंकर केसेट्स के कलाकारों ने मनमोहक नृत्य एंव भजनों की प्रस्तुतियां देकर वातावरण को राजस्थानी संस्कृति से रूबरू कराया।
सांवलिया दरबार में रामदरबार ने द्वापर व त्रेता युग को प्रकट किया
जलझूलनी एकादशी मेले के दौरान मंदिर के सामने के मंच पर गुरूवार रात्रि को सजें रामदरबार ने सांवलिया दरबार के सामने राम भक्ति की सरस सलिला ऐसी प्रवाहित हुई कि दर्शकों को द्वापर के कृष्ण व त्रेता के राम का एक ही मंच पर साक्षात हो गया। उत्तप्रदेश के मुजफ्फर नगर से आये रामभक्त तुलसी कृत रामकथा गायक प. रामदेव शर्मा ने रामकथा गायन की मनमोहक प्रस्तुति देते हुए समूचे वातावरण को रामभक्ति से सराबोर कर दिया। दृश्य, श्रृव्य व गायन की त्रिवेणी के बीच श्री रामदरबार शैली में भजनों की प्रस्तुतिया देते हुए प. शर्मा ने सूरदास, कबीर, मीरा, नानक व रैदास जैसे रस सिद्ध कवियों की रचनाओं को भी प्रस्तुत कर वातावरण को भक्ति रस में रंग दिया। इस मौके पर प. रामदेव शर्मा ने कहा कि सुगंध सदाचार की सूख परस्पर समाधान का, सौंदर्य घर की व्यवस्था का, प्रतिष्ठा आपसी प्रीति की हो व वैभव अतिथि सेवा का हो उसी घर में साक्षात राम बिराजते है। उन्होंने रामचरित मानस की महत्ता बताते हुए कहा कि यह ग्रंथ भक्ति तत्व को आलोकित करने वाला, सत्य की अनूभूति कराने वाला, भक्ति ज्ञान और वैराग्य का समुच्चय है। उन्होंने कहा कि भगवार शंकर के श्री मुख से ही निश्रृत रामकथा आज भी जन मानस में अपना विशेष महत्व रखती है। प. शर्मा के साथ तबले पर घनश्याम दास उपाध्याय, ढोलक पर आशीष, की बोर्ड पर नीरज, सिंथेसाइजर पर सन्नी तथा आक्टोपेड पर राहुल ने संगत की। यहां उपखण्ड अधिकारी चैनाराम चैधरी ने दीप प्रज्वलित कर भक्ति संध्या का शुभारम्भ किया। गायक प. नरेश ने पथ राखों लाज जी से गणेश वंदना की वहीं मीरा के प्रमुख भजनों को प्रस्तुत कर राम और कृष्ण भक्ति को एक ही मंच पर अवतरित कर दिया।
समृद्धि फिल्म्स के कलाकारों ने इसी मंच पर कई राजस्थानी लोक नृत्य एंव भजनों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को खूब आनंदित किया। इस दौरान महेश गोयल ने ‘मेरे घर सूनो ना, जी करदा तेनू काॅल दिखावा जैसे गीत प्रस्तुत किये, वहीं डांस गु्रप द्वारा राधा कृष्ण की प्रेमा भक्ति को नृत्य के माध्यम से प्रकट किया। कलाकारों ने मोरनी, धरती धोरा री, मरूधर म्हारों जैसे लोकगीतों पर चरी नृत्य के साथ भवाई नृत्य भी प्रस्तुत किये। वहीं राजू पंजाबी ने काॅमेडी के साथ ही बाबा रामदेव के प्रसिद्ध लोक भजन माने घोड़लियों मंगाई दे प्रस्तुत किया तो श्रोता भी तालियां बजाकर संगत करने लगे। इसी मंच पर अनिष्का गु्रप नई दिल्ली के सुरेश व्यास के नेतृत्व मंे आये कलाकारों ने भी राजस्थान संस्कृति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां दी। यहां कलाकारों का स्वागत मण्डल अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर ने किया।
फिल्मी गीतों के साथ भजनों ने समा बांधा
गोवर्धन बस स्टैण्ड के मंच पर बोम्बे डांस गु्रप के कलाकार मोहम्मद वकील ने गणपति वंदना के साथ भजन संध्या की शुरूआत की। इस दौरान उन्होंने ‘आया तेरे दर पर दिवाना‘ के साथ ही सा रे गा मा पा के विजेता के रूप में उनके प्रसिद्ध ना ना ना रे, मे दर्दी, रंगीलों म्हारो ढोलना, सजना दी वारी-वारी, काल्यों कूद पड़़यों मेला में तथा जय जय शिव शंकर जैसे
कोरस गीत प्रस्तुत किये, वहीं महेश गोयल ने गीत गाता चला जाता हू। शूबी ने बोबी डोल दी सोने दी, सांवरे से मिलने का तथा एक बार फिर महेश गोयल ने संकिर्तन करते हुए गोविंद बोलों हरी गोपाल बोलों तथा राधे राधे जपो चले आयेंगे बिहारी जैसी मन भावन प्रस्तुतियां दी जिन पर श्रोता भी तालिया बजाकर संगत करने लगे। कार्यक्रम के प्रारम्भ तहसीलदार रमेश बहेडि़या, बोर्ड सदस्य दिनेश व्यास व मनोहर सोनी ने कलाकारों का स्वागत किया।
रासलीला ने कृष्ण भक्ति को जीवंत किया
सांवलिया जी के मेले के दौरान वासूदेव भवन मंच पर वृंदावन के कलाकारों द्वारा आयोजित सात दिवसीय रासलीला मंचन के दौरान बृजभाषा में दी गई प्रस्तुतियों ने समूचे वातावरण में कृष्ण भक्ति को जीवंत कर दिया। कलाकारों ने कृष्ण जन्म से लेकर बाल क्रीड़ाओं, माखन चोरी, कालिया मरदन, राक्षसों का वध, गोवर्धन पर्वत धारण सहित कई संदर्भो को बहुत ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत कर दर्शकों को सही माने में रास लीला से रूबरू कराया।
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