http://4.bp.blogspot.com/-5q2Nk3tjs9Q/VKmAzEK3cyI/AAAAAAAAD_U/L2HsJAmqhFg/s1600/eyetechnews%2BHeaderpngnew1.png

संभावना की संगोष्ठी रिपोर्ट

चित्तौड़गढ़ । साहित्य के इस दौर में कठिन भाषा में लिखना सरल है पर सरल भाषा में लिखना कठिन है, आमजन मानस में सहजता व सरलता से उतरने वाली भाषा ही कालजयी होती हैं । संभावना द्वारा आयोजित चार मार्च,रविवार को नगर में एकल कविता पाठ में आलोंचक व कवि डा. सत्यनारायण व्यास ने अपनी कविताओं के पाठ की शुरुआत में कहा कि संघर्ष से कविता बनती है और वही आदमी को विपरित परिस्थितियों मे जिन्दा रखती है। सारा जीवन पढ़ते-पढ़ाते गुज़र गया और यही ज़रूरी बात जान पाया कि हिन्दी का पाठक अगर संस्कृत,राजस्थानी और उर्दू का भी जानकार हो जाए तो सही मायने में एक अध्येता की भूमिका अदा कर सकता है.वेद,पुराण पढ़े और उनके साथ ही मैंने लोक जीवन को भी असल में अनुभव किया है मैं आखिर में किसी एक को चुनने के मसले पर लोक जीवन चुनुँगा.क्योंकि शास्त्र भी लोक से ही उपजा है.
डॉ. व्यास ने तीन अलग-अलग पडावो के साथ अपनी कविताएँ पढ़ी,नगर के रुचिशील पाठकों के बीच संपन्न इस आयोजन ने नगर में पाठकीयता को फिर से जाग्रत किया है.खुद को कभी भी कवि नहीं मानने वाले डॉ. व्यास ने पहले दौर में संन्यास जैसी दर्शनपरक कविता श्रोताओं को सुनाई.उसी के ठीक बाद डाईट चित्तौड़ के प्राध्यापक डॉ. राजेन्द्र सिंघवी ने उनके कविता संग्रह 'मेरी असमाप्त यात्रा' पर पिछले दौर के तमाम बड़े रचनाकारों की पंक्तियों के उदाहरण देते हुए अपनी समालोचकीय प्रतिक्रया रखी.
दुसरे पडाव पर डॉ. व्यास ने देशज शब्दों से पूरित आमजन जनजीवन के करीब की कविताएँ सुनाई जिसमें उनके आदिवासी बहुल क्षेत्र में बिताएं समय की गंध साफ़ तौर पर अनुभव की गयी.यहीं पाठकों को उन्होंने अपने दूसरे कविता संग्रह 'देह के उजाले में' से भी कुछ महत्वपूर्ण रचनाएं सुनाई.इस बीच डॉ. रेणू व्यास ने एक बेटी के रूप में अपने पिता के साहित्यिक जीवन के समानान्तर रही परिस्थितियों को प्रभावी रूप से सामने रखा,उन्होंने डॉ. व्यास की कविता को जीवन के विभिन्न परिप्रेक्षों में विवेचित किया.
आखिर में डॉ. व्यास ने अपने साठ की उम्र के आसपास की नई और चुनी हुई रचनाएं सुनाई जिन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया गया.उन्होंने पाठ का अंत राजनीति और हमारे वर्तमान समाज को केन्द्रित करते मुक्तकों से किया .इस अवसर पर संभावना की मुख पत्रिका 'बनास जन' का लोकार्पण राजस्थानी दोहाकार शिवदान सिंह कारोही और डॉ. व्यास ने किया ,साथ ही इस अंक में निहित डॉ. माधव हाड़ा के लम्बे आलेख 'मीरा का समाज' पर एम्.एल.डाकोत ने संक्षिप्त टिप्पणी की.आयोजन के सहभागी पहल संस्थान के संयोजक जे.पी.दशोरा और व्याख्याता डॉ.राजेंश चौधरी ने अतिथियों का माल्यार्पण किया.आभार माणिक ने दिया.संगोष्ठी का संचालन डॉ. कनक जैन ने किया वहीं सूत्रधार की भूमिका में संतोष शर्मा,विकास अग्रवाल और अजय सिंह थे.इस संगोष्ठी में नगर के लगभग तमाम साहित्य प्रेमी मौजूद थे.
डॉ.कनक जैन
आयोजन संयोजक
Share on Google Plus

About Eye Tech News

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment