नई दिल्ली. आम तौर पर पूछा जाता है कि आप कैसे है, लेकिन मुकुल जोशी की कहानियों का संग्रह 'मैं यहाँ कुशल से हूँ' अपने शीर्षक से ही सब कुछ बयान कर देता है. उक्त विचारशीर्षस्थआलोचक नामवर सिंह ने धूमिमल आर्ट गेलेरी मे चल रही चित्र प्रदर्शनी के दौरान अरू प्रकाशन द्वारा हाल मे प्रकाशित कहानी संग्रह 'मैं यहाँ कुशल से हूँ' का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किये. इस संक्षिप्त समारोह के विशिष्ट अतिथिविख्यात कथाकार काशीनाथसिंह और प्रसिद्द चित्रकार अब्बास बाटलीवाला थे. इस अवसर पर इन्द्रप्रस्थ विश्विद्यालय के अधिष्ठाता और अंग्रेजी समालोचक प्रो. अनूप बैनिवालने कहा कि साहित्य में साहित्येतर पृष्ठभूमि से आने वाली कृतियाँ बहुधा चौंकाती हैं किन्तु मुकुल जोशी का कथा लेखन आश्वस्त करने वाला है. चित्तौडगढ़ में जोशी के साथ व्यतीत दिनों को याद करते हुए कवि सत्यनारायण व्यास ने कहा कि साहित्य की बड़ी कसौटी मनुष्यता है और जोशी उस पर खरे हैं. बनास जन के सम्पादक और युवा आलोचक पल्लव ने जोशी की कहानी कला पर अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में कहा कि संग्रह में 'लिलिपुट बना गुलीवर' जैसी कहानी भी है जो हाशिये के मामूली लोगों के स्वप्न और उल्लास का चित्र खींचती है. मूलत: उत्तराखंड के निवासी मुकुल जोशी राजकीय सेवा के कारण यायावर रहे हैं और अपनी कहानियों के लिए पाठकों की प्रशंसा बटोर चुके हैं. फिलहाल जम्मू और कश्मीर में सेवारतकथाकार जोशी ने अतिथियोंके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. आयोजन में प्रो. आशुतोष मोहन, डॉ. विवेक सचदेव, डॉ.हिमांशु पंडया, डॉ. मुन्नाकुमार पाण्डेय, रंगकर्मी अनूप शुक्ला सहितबड़ी संख्या में युवा छात्र-छात्राएं और पाठकउपस्थित थे.
Blogger Comment
Facebook Comment