

चित्तौड़गढ़ 22 अक्टूबर - प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजू ईश्वरीय विश्वविधालय, प्रतापनगर के तत्त्वाधान में सेगवा स्थित आईटेक इण्ड़स्ट्रीयल ट्रेनिगं सेन्टर (आई. टी ़आई ़) पर ‘‘क्लीन द माइण्ट एण्ड़ ग्रीन द‘‘ अर्थ के अन्तर्गत ब्रह्माकुमारी अनिता बहन ने 
उपस्थित भाईयों को बताया कि राजयोग से मन को आराम मिलता है। इससे मानसिक एकाग्रता की शक्ति बढ़ती हैं। आज वर्तमान समय की मांग यह हैं। कि राजयोग हर उम्र के लिए जरूरी होता जा रहा हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज एवं अच्छा खाना आवश्यक हैं। उसी प्रकार मन को शक्तिशाली एवं मजबूत बनाने के लिए राजयोग का अभ्यास श्रेष्ठ विचारों को लेकर किया जाना चाहिए। हम शरीर को तो रेस्ट देते हैं। परन्तु मन तो फिर भी चलता रहता हैं। स्वप्न के माध्यम या अन्य कोई चितंन से जिससे उठने में आलस्य या सुस्ती भारीपन लगता हैं। क्योंकि मानसिक रेस्ट तो हमें नहीं मिल पा रहा हैं। राजयोग मानसिक रेस्ट, मानसिक रिफ्रेशमेंट एवं हल्केपन का अनुभव कराता हैं। इससे एकाग्रता की शक्ति बढ़ती हैं। ब्रह्माकुमार विनोद भाई ने राजयोग की विधि बताई, जिससे जीवन में मनचाही उपलब्धि या सफलता प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम में (प्रशासक) पी.के. गौड़ ने कहा कि राजयोग से तनाव मुक्त जीवन संभव हैं।  
उपस्थित भाईयों को बताया कि राजयोग से मन को आराम मिलता है। इससे मानसिक एकाग्रता की शक्ति बढ़ती हैं। आज वर्तमान समय की मांग यह हैं। कि राजयोग हर उम्र के लिए जरूरी होता जा रहा हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज एवं अच्छा खाना आवश्यक हैं। उसी प्रकार मन को शक्तिशाली एवं मजबूत बनाने के लिए राजयोग का अभ्यास श्रेष्ठ विचारों को लेकर किया जाना चाहिए। हम शरीर को तो रेस्ट देते हैं। परन्तु मन तो फिर भी चलता रहता हैं। स्वप्न के माध्यम या अन्य कोई चितंन से जिससे उठने में आलस्य या सुस्ती भारीपन लगता हैं। क्योंकि मानसिक रेस्ट तो हमें नहीं मिल पा रहा हैं। राजयोग मानसिक रेस्ट, मानसिक रिफ्रेशमेंट एवं हल्केपन का अनुभव कराता हैं। इससे एकाग्रता की शक्ति बढ़ती हैं। ब्रह्माकुमार विनोद भाई ने राजयोग की विधि बताई, जिससे जीवन में मनचाही उपलब्धि या सफलता प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम में (प्रशासक) पी.के. गौड़ ने कहा कि राजयोग से तनाव मुक्त जीवन संभव हैं।  स्टापगणः- लखन राज सिंह चन्द्रावत, लक्ष्मी नारायण भाटी, नाथूलाल सैन, विनोद कुमार पुष्कना, घनश्याम व्यास एवं लीला बाई आदि उपस्थित थे। 





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