यह समितियॉं आंगनवाड़ियों को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग देंगी
वेदान्ता समूह की कंपनी हिन्दुस्तान जिंक ने राजस्थान में 1000 आंगनवाड़ियों को गोद लिया है जिससे इन आंगनवाड़ियों में मूल रूप से सुधार आया है। आंगनवाड़ियों में बच्चों की संख्या में निरन्तर बढ़ती जा रही है तथा बच्चों के स्वास्थ एवं विकास में सराहनीय परिवर्तन आया हैं। यह समितियां आंगनवाड़ी केन्द्रो को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग देंगी । हिन्दुस्तान जिंक ने किया राजस्थान में ‘578 ग्रामीण सशक्तिकरण समितियों’ का गठन। प्रत्येक समिति में गंाव के ही 10 गणमान्य व्यक्ति होंगे जिसमें गांवों के बुजुर्ग, सरपंच, युवक, विशिष्ठ सलाहकार एवं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी होंगी। ये समितियां महीने में एक बार बैठक करेंगी तथा आंगनवाड़ियों के संदर्भ में, उनके संचालन में अपना सहयोग एवं विचार व्यक्त करेंगी। इन आंगनवाड़ी केन्द्रों को सुचारू रूप से चलाने के लिए, जिससे भारत में बच्चों में कुपोषण को समाप्त किया जा सके, इन समितियों का विशेष योगदान रहेगा। यह समितियॉं गांव-गांव में जाकर माताओं से बच्चों को आंगनवाड़ी में भेजने के लिए पे्ररित करेंगी । युनीसेफ के आंकड़े प्रदर्शित करते हैं कि भारत में कुपोषण अफ्रीका से भी अधिक पाया जाता है। दुनिया के प्रति 3 में से एक बच्चा जो कुपोषण का शिकार है भारत में पाया जाता है। भारत में 50 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु का मुख्य कारण कुपोषण का पाया जाना है। 46 प्रतिशत बच्चे जो कि तीन वर्ष की आयु से कम होते है वह प्रायः कम आयु के प्रतीत होते है और 47 प्रतिशत बच्चों में प्राय उनका वजन आयु के अनुरूप कम पाया जाता है। सामान्यतः कुपोषण, मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 55 प्रतिशत है एंव केरला में सबसे कम 27 प्रतिशत है ।प्रायः बच्चों में कुपोषण केवल मात्र भोजन या खाघ पदार्थाे की वजह से ही नहीं बल्कि अपर्याप्ता स्वास्थ्य सेवाएं, गुणात्मक देखरेख का अभाव, पर्याप्त पोषण का अभाव, गर्भवती स्त्रिीयों में पोषण का अभाव इसके प्रमुख कारण है। प्रायः लड़को की अपेक्षा लड़कियों में कुपोषण अधिक पाया जाता है। संसार के प्रति तीन कुपोषत बच्चों में सें एक बच्चा भारत में है । विटामिन एवं खाद्य खनिज पदार्थो के अभाव में बच्चो का विकास अवरूद्व हो जाता है। प्रायः 74 प्रतिशत बच्चों में जो कि 3 वर्ष की आयु से कम होते हैं, में एनिमिया रोग के लक्षण एवं रोग विद्ययमान होता है। 90 प्रतिशत से अधिक किशोरावस्था की बालिकाओं में तथा 50 प्रतिशत महिलाओं में प्रायः कुपोषण के फलस्वरूप एनिमिया होता है जो कि सीखने समझने की क्षमता को अवरूद्व करता है।
युनिसेफ रिपोर्ट 2007 के अनुसार 92 लाख बच्चे जो कि प्रायः 5 वर्ष से कम आयु के होते हैं, उनकी मृत्यु निवारण योग्य कारणों के होते हुए भी हो जाती है। चार में से तीन बच्चे एनिमिक रोग से पीड़ित रहते हैं और प्रत्येक दूसरा बच्चा कम वजन एवं कमजोरी का शिकार पाया जाता है। भारत एक मात्र विकासशील देश है जिसमें 40 प्रतिशत कुपोषित बच्चे पाये जाते हैं। भारत संसार का पहला राष्ट्र है जिसमें 14 करोड़ 60 लाख में से 5 करोड़ 7 लाख बच्चे कुपोषित पाये जाते हंै। राज्य सरकार द्वारा चलाये जाने वाले आंगनबाड़ी कार्यक्रमों का प्रमुख उद्देश्य बच्चों में कुपोषण को दूर करना है । बडे़ उद्योगों के साझा सहयोग के बिना भारत को कुपोषण रहित बनाना बेहद कठिन कार्य है । वेदान्ता जैसे बड़े उद्योगों की आर्थिक सहायता व सत्यानिष्ठा के बिना इस जटिल व कठिन कार्य में सफलता पाना बेहद कठिन है । वेदान्ता समूह ने 2007 में राज्यों सरकारों के साथ मिलकर आंगनवाड़ियों को गोद लेने का निर्णय लिया जिसकी शुरूआत राजस्थान राज्य से हुई तत्पश्चात् उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्य में भी अपनाया गया। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में सुपोषण के लिए वेदान्ता ग्रुप ने आंगनवाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाडी केन्द्रो को गोद लेने का निर्णय लिया। राजस्थान में वेदान्ता समूह की कंपनी हिन्दुस्तान जिंक ने 400 आंगनबाड़ी केन्द्रों को और उड़ीसा में वेदान्ता एल्युमिनियम ने भी 400 आंगनबाड़ी केन्द्रों को अपनाया। इससे ना ही खाद्य पूर्ति में सुधार आया है बल्कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में नये बर्तन, वाटर फिल्टर, मेडिकल किट, किताबें, खिलौने और कई दूसरी आवश्यक वस्तुएं जो कि केन्द्रों के लिए आवश्यक है उपलब्ध कराई गई। इसी परिणाम से उत्साहित होकर वेदान्ता समूह ने दूसरे चरण में राजस्थान एवं उड़ीसा में अतिरिक्त 600-600 आंगनवाडी केन्द्रों को गोद लिया जिसके फलस्वरूप अब, 2,000 आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 85,000 से अधिक ग्रामीण बच्चे लाभान्वित होने लगे। वेदान्ता समूह का लक्ष्य है कि आगामी दो-तीन वर्षों में 10,000 आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 500,000 वंचित ग्रामीण बच्चों को लाभ मिले । इन सभी केन्द्रों का नाम ‘वेदान्ता बाल चेतना आंगनवाड़ी केन्द्र’ होगा। छत्तीसगढ़ में वेदान्ता ग्रुप के 500 गांवों में 537 केन्द्रों को अपनाया हैं जो ममता केन्द्रों के नाम से चल रहे हैं। ये सभी केन्द्र मां और बच्चों की देखभाल के लिए स्थापित किये है। इसमें मां औ बच्चे को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मिल सकंे। इस निरन्तर प्रयास के फलस्वरूप बाल मुत्यु दर 85 से 42 पर एक हजार और महिला मुत्यु दर 115 से 60 प्रति हजार हो गया है । राज्य सरकार विशेष रूप से इस संगठन को एवं इसकी उन्नति को नियंत्रित एवं नियमित कर रही है।
आज, ये बच्चे सुबह ‘‘गुड मॉरनिंग’’ कहते हैं, स्नान करते हैं, अपने दॉंत साफ करते हैं, नाखून काटते हैं, कंघी करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं। आज इन बच्चों में एक आंतरिक खुशी है और यही वेदान्ता समूह का लक्ष्य है ।
वेदान्ता ने कुपोषण को दूर करने के लिए एक सफल प्रयास किया है तथा अन्य बड़े उद्योगों को अब इस योजना को प्रोत्साहित करना चाहिए ।
युनिसेफ रिपोर्ट 2007 के अनुसार 92 लाख बच्चे जो कि प्रायः 5 वर्ष से कम आयु के होते हैं, उनकी मृत्यु निवारण योग्य कारणों के होते हुए भी हो जाती है। चार में से तीन बच्चे एनिमिक रोग से पीड़ित रहते हैं और प्रत्येक दूसरा बच्चा कम वजन एवं कमजोरी का शिकार पाया जाता है। भारत एक मात्र विकासशील देश है जिसमें 40 प्रतिशत कुपोषित बच्चे पाये जाते हैं। भारत संसार का पहला राष्ट्र है जिसमें 14 करोड़ 60 लाख में से 5 करोड़ 7 लाख बच्चे कुपोषित पाये जाते हंै। राज्य सरकार द्वारा चलाये जाने वाले आंगनबाड़ी कार्यक्रमों का प्रमुख उद्देश्य बच्चों में कुपोषण को दूर करना है । बडे़ उद्योगों के साझा सहयोग के बिना भारत को कुपोषण रहित बनाना बेहद कठिन कार्य है । वेदान्ता जैसे बड़े उद्योगों की आर्थिक सहायता व सत्यानिष्ठा के बिना इस जटिल व कठिन कार्य में सफलता पाना बेहद कठिन है । वेदान्ता समूह ने 2007 में राज्यों सरकारों के साथ मिलकर आंगनवाड़ियों को गोद लेने का निर्णय लिया जिसकी शुरूआत राजस्थान राज्य से हुई तत्पश्चात् उड़ीसा और छत्तीसगढ़ राज्य में भी अपनाया गया। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में सुपोषण के लिए वेदान्ता ग्रुप ने आंगनवाड़ी कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाडी केन्द्रो को गोद लेने का निर्णय लिया। राजस्थान में वेदान्ता समूह की कंपनी हिन्दुस्तान जिंक ने 400 आंगनबाड़ी केन्द्रों को और उड़ीसा में वेदान्ता एल्युमिनियम ने भी 400 आंगनबाड़ी केन्द्रों को अपनाया। इससे ना ही खाद्य पूर्ति में सुधार आया है बल्कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में नये बर्तन, वाटर फिल्टर, मेडिकल किट, किताबें, खिलौने और कई दूसरी आवश्यक वस्तुएं जो कि केन्द्रों के लिए आवश्यक है उपलब्ध कराई गई। इसी परिणाम से उत्साहित होकर वेदान्ता समूह ने दूसरे चरण में राजस्थान एवं उड़ीसा में अतिरिक्त 600-600 आंगनवाडी केन्द्रों को गोद लिया जिसके फलस्वरूप अब, 2,000 आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 85,000 से अधिक ग्रामीण बच्चे लाभान्वित होने लगे। वेदान्ता समूह का लक्ष्य है कि आगामी दो-तीन वर्षों में 10,000 आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 500,000 वंचित ग्रामीण बच्चों को लाभ मिले । इन सभी केन्द्रों का नाम ‘वेदान्ता बाल चेतना आंगनवाड़ी केन्द्र’ होगा। छत्तीसगढ़ में वेदान्ता ग्रुप के 500 गांवों में 537 केन्द्रों को अपनाया हैं जो ममता केन्द्रों के नाम से चल रहे हैं। ये सभी केन्द्र मां और बच्चों की देखभाल के लिए स्थापित किये है। इसमें मां औ बच्चे को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मिल सकंे। इस निरन्तर प्रयास के फलस्वरूप बाल मुत्यु दर 85 से 42 पर एक हजार और महिला मुत्यु दर 115 से 60 प्रति हजार हो गया है । राज्य सरकार विशेष रूप से इस संगठन को एवं इसकी उन्नति को नियंत्रित एवं नियमित कर रही है।
आज, ये बच्चे सुबह ‘‘गुड मॉरनिंग’’ कहते हैं, स्नान करते हैं, अपने दॉंत साफ करते हैं, नाखून काटते हैं, कंघी करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं। आज इन बच्चों में एक आंतरिक खुशी है और यही वेदान्ता समूह का लक्ष्य है ।
वेदान्ता ने कुपोषण को दूर करने के लिए एक सफल प्रयास किया है तथा अन्य बड़े उद्योगों को अब इस योजना को प्रोत्साहित करना चाहिए ।
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