नई दिल्ली - अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर दिए समर्थन की विश्व में जबर्दस्त प्रतिक्रिया है। पाकिस्तान ने हमेशा की तरह भारत विरोधी रवैया अपनाते हुए कहा है कि इससे समस्याएं कम होने के बजाए और बढ़ेंगीं।
चीन के प्रमुख अखबार श्द चाईना डेलीश् के अनुसार यह पश्चिमी देशों की मजबूरी है कि अपनी खराब आर्थिक स्थिति के चलते भारत और चीन जैसे देशों का साथ लें जिनकी अर्थ व्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका के अखबार द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार ओबामा का भारत को संयुक्त राष्ट्र के मुद्दे पर समर्थन देना साबित करता है कि भारत अब बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है। पोस्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि इससे निश्चित ही चीन और पाकिस्तान में नाराजगी बढ़ेगी।
भारत को संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के तत्काल बयान जारी कर उम्मीद जताई कि अमेरिका अब कोई भी निर्णय एशिया की क्षेत्रीय राजनीति से प्रभावित होकर कोई निर्णय नहीं लेगा। इस बयान को पाकिस्तान के सभी अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा कि अमेरिका के इस समर्थन के बाद सुरक्षा परिषद के फिर गठित होने की प्रक्रिया में बाधा पैदा होगी। पाकिस्तान के अनुसार अमेरिका को नैतिकता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए क्योंकि भारत को स्थायी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांतों के ही खिलाफ है। भारत हमेशा से कश्मीर के मामले में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों की अनदेखी करता रहा है।
द डॉन के अनुसार 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव में कहा था कि कश्मीर समस्या का हलए स्थानीय नागरिकों की इच्छा के अनुसार होना चाहिए। लेकिन भारत ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।
चाईना डेली के अनुसार अमेरिका ने यह प्रस्ताव तो दिया है लेकिन इसका परिषद के स्थायी सदस्यों में से कुछ कड़ा विरोध करेंगे। अभी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में ब्रिटेनए चीनए फ्रांसए रूस और अमेरिका शामिल हैं।
अखबार के अनुसार यह अमेरिका की भारत की बड़ी लेकिन अविकसित अर्थ व्यवस्था में घुसपैठ का प्रयास हैए जिससे चीन के विकास को रोका जा सके। अखबार के अनुसार पश्चिमी देश अपनी बिगड़ती आर्थिक हालातों को देखते हुए भारत और चीन जैसे देशों पर निर्भर हो रहे हैं। अखबार ने कहा कि भारत का स्थायी सदस्यता के सपने को साकार होने में अभी भी कई साल लगेंगे।
अमेरिका के प्रमुख अखबार द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार ओबामा ने भारत की स्थायी परिषद के लिए समर्थन तो दिया है लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है। अमेरिकी अखबार के अनुसार चीन सहित कुछ दूसरे स्थायी सदस्य भारत की सदस्यता का विरोध करेंगे। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार भारत ने कई बार संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के खिलाफ काम किया है।
चीन के प्रमुख अखबार श्द चाईना डेलीश् के अनुसार यह पश्चिमी देशों की मजबूरी है कि अपनी खराब आर्थिक स्थिति के चलते भारत और चीन जैसे देशों का साथ लें जिनकी अर्थ व्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका के अखबार द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार ओबामा का भारत को संयुक्त राष्ट्र के मुद्दे पर समर्थन देना साबित करता है कि भारत अब बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है। पोस्ट ने साथ ही यह भी कहा है कि इससे निश्चित ही चीन और पाकिस्तान में नाराजगी बढ़ेगी।
भारत को संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता के मुद्दे पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के तत्काल बयान जारी कर उम्मीद जताई कि अमेरिका अब कोई भी निर्णय एशिया की क्षेत्रीय राजनीति से प्रभावित होकर कोई निर्णय नहीं लेगा। इस बयान को पाकिस्तान के सभी अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा कि अमेरिका के इस समर्थन के बाद सुरक्षा परिषद के फिर गठित होने की प्रक्रिया में बाधा पैदा होगी। पाकिस्तान के अनुसार अमेरिका को नैतिकता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए क्योंकि भारत को स्थायी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांतों के ही खिलाफ है। भारत हमेशा से कश्मीर के मामले में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों की अनदेखी करता रहा है।
द डॉन के अनुसार 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव में कहा था कि कश्मीर समस्या का हलए स्थानीय नागरिकों की इच्छा के अनुसार होना चाहिए। लेकिन भारत ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया।
चाईना डेली के अनुसार अमेरिका ने यह प्रस्ताव तो दिया है लेकिन इसका परिषद के स्थायी सदस्यों में से कुछ कड़ा विरोध करेंगे। अभी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में ब्रिटेनए चीनए फ्रांसए रूस और अमेरिका शामिल हैं।
अखबार के अनुसार यह अमेरिका की भारत की बड़ी लेकिन अविकसित अर्थ व्यवस्था में घुसपैठ का प्रयास हैए जिससे चीन के विकास को रोका जा सके। अखबार के अनुसार पश्चिमी देश अपनी बिगड़ती आर्थिक हालातों को देखते हुए भारत और चीन जैसे देशों पर निर्भर हो रहे हैं। अखबार ने कहा कि भारत का स्थायी सदस्यता के सपने को साकार होने में अभी भी कई साल लगेंगे।
अमेरिका के प्रमुख अखबार द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार ओबामा ने भारत की स्थायी परिषद के लिए समर्थन तो दिया है लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है। अमेरिकी अखबार के अनुसार चीन सहित कुछ दूसरे स्थायी सदस्य भारत की सदस्यता का विरोध करेंगे। द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार भारत ने कई बार संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के खिलाफ काम किया है।
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