आज के युंग में अधिकार युवकों में प्रवृति देखी जाती है कि किसी कार्य को सीखने या किसी परीक्षा की तैयारी करने में उन्हें जितना समय लगाना चाहिए, वे उसका चैथाई भी उसमें नही लगाते है। इस स्थिति में हम उन युवको से यह आशा नहीं कर सकते कि वे अपने मिशन में सफल होगे। वास्तव में किसी भी परिणाम की प्राप्ति के लिये हमें धैर्य, निरन्तर श्रम और लगन की आवश्यकता होती है। इसी के साथ इस बात की भी आवश्यकता है कि मन में कभी भी निराशा न आने दी जाये।
‘‘कल हम क्या थे और हम क्या हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कल हमनें क्या किया और आज क्या कर रहै हे।‘‘ आज के युग में हर इंसान अच्छे फल की प्राप्ति के लिए उतावला दिखाई देता है। वह अपने थोड़े से प्रयत्न का पूरा-पूरा व अच्छा परिणाम पाने के लिए आतुर है। युवक विशेष रूप से विद्यार्थीगण यह चाहते हैं कि उनके हाथ ऐसी तकनीक लग जाये, जिससे बिना मेहनत किये उन्हें सफलता की प्राप्ति हो जाये। वे सदैव किसी न किसी आसान तरीके की खोज में रहते हैं। वास्तव में उतावलेपन का मुख्य कारण है, पूरा प्रयत्न ना करना, परिश्रम व मेहनत से जी चुराना व सदैव आराम की चाह रखना। वस्तुतः हम जो कुछ भी जानते है उसे हमें पर्याप्त नहीं मानना चाहिये, बल्कि और अधिक प्रयास करते हुए अधिक से अधिक ज्ञान पाप्त करना चाहिए।
संसार के जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, उनकी सफलता का यही रहस्य है कि उन्होने अपने कार्य को पूरी ईमानदारी व मेहनत से पूर्ण किया है तथा साथ ही उन्होने कभी भी उतावलेपन या आतुरता का सहारा नहीं थामा। वे अपने संपूर्ण मनोयोग से अपने कार्य में रत रहे। आज के युवकों, विशषेकर विद्यार्थीगण को चाहिये कि वह पूर्ण निष्ठा, मेहनत और लगन से कार्य को संपन्न करे। पूरी निष्ठा व श्रम ही सच्ची सफलता का रहस्य है।
‘विजेता कुछ अलग नहीं करते है, वे वही कार्य करते है, जो दूसरे लोग अलग तरीके से करते हैं।’ष्
शीतल गौड़ भीलवाड़ा
‘‘कल हम क्या थे और हम क्या हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कल हमनें क्या किया और आज क्या कर रहै हे।‘‘ आज के युग में हर इंसान अच्छे फल की प्राप्ति के लिए उतावला दिखाई देता है। वह अपने थोड़े से प्रयत्न का पूरा-पूरा व अच्छा परिणाम पाने के लिए आतुर है। युवक विशेष रूप से विद्यार्थीगण यह चाहते हैं कि उनके हाथ ऐसी तकनीक लग जाये, जिससे बिना मेहनत किये उन्हें सफलता की प्राप्ति हो जाये। वे सदैव किसी न किसी आसान तरीके की खोज में रहते हैं। वास्तव में उतावलेपन का मुख्य कारण है, पूरा प्रयत्न ना करना, परिश्रम व मेहनत से जी चुराना व सदैव आराम की चाह रखना। वस्तुतः हम जो कुछ भी जानते है उसे हमें पर्याप्त नहीं मानना चाहिये, बल्कि और अधिक प्रयास करते हुए अधिक से अधिक ज्ञान पाप्त करना चाहिए।
संसार के जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं, उनकी सफलता का यही रहस्य है कि उन्होने अपने कार्य को पूरी ईमानदारी व मेहनत से पूर्ण किया है तथा साथ ही उन्होने कभी भी उतावलेपन या आतुरता का सहारा नहीं थामा। वे अपने संपूर्ण मनोयोग से अपने कार्य में रत रहे। आज के युवकों, विशषेकर विद्यार्थीगण को चाहिये कि वह पूर्ण निष्ठा, मेहनत और लगन से कार्य को संपन्न करे। पूरी निष्ठा व श्रम ही सच्ची सफलता का रहस्य है।
‘विजेता कुछ अलग नहीं करते है, वे वही कार्य करते है, जो दूसरे लोग अलग तरीके से करते हैं।’ष्
शीतल गौड़ भीलवाड़ा
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