उज्जैन 28 अप्रैल। “हे संतानों! तुम सबकी चेष्टा समान हो, तुम्हारा निश्चय एक समान हो, तुम्हारे ह्रदय एक तुल्य हों, किसी प्रकार विषमता का भान न हो। तुम सबके अन्त:करण भी एक सदृश और उदार हों, जगत में तुम्हारा एकत्रित सुंदर सहवास हो, जो समता का साकार रूप है। विश्व मानवो ! तुम्हारे कल्याण के लिए वेद माता कितना सोचती है देखो ! जगत के सभी मनुष्य ही उनकी संतान हैं। उनकी आशा अनुसार चलने का संकल्प लो, वेद माता की वाणी को साकार रूप देने के लिए तैयार हो, उठो, जागो। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में बड़नगर रोड पर दंडी आश्रम के आगे स्थित अपने शिविर में सनातन सत्संग पीठ भारतवर्ष के संस्थापक श्री हिरन्मयानंद जी विश्व कल्याण योजना चला रहे हैं। वे इसमें शामिल होने एवं मनुष्यों के विकास के लिए सभी धर्म, वर्ण, सम्प्रदाय के व्यक्तियों का हार्दिक क स्वागत करते हुए उन्हें बता रहे हैं कि वेदों में निहित हमारे धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। श्री हिरन्मयानंद जी बताते हैं कि अंग्रेजों के शासनकाल में लार्ड मैकाले ने अंग्रेजी शिक्षा पद्धति प्रारंभ की जो कि भोगवादी है। हमारी शिक्षा भोग की नहीं अपितु भोग से निवृत्ति एवं आत्मज्ञान की शिक्षा देती है। उनके शिविर में इस संबंध में विस्तार से शिक्षा दी जाती है। हमारी संस्कृति एवं संस्कृत भाषा हमें योग की ओर ले जाती है तथा विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है।
शिविर का कार्यक्रम श्री हिरन्मयानंद जी के शिविर के कार्यक्रम में सुबह 7.30 से 8.30 बजे गुरुवंदना, वेदमंत्रयुक्त शांतिपाठ, सुबह 8.30 से 9.30 स्वल्पाहार, सुबह 9.30 से 11.00 विश्व शांति उद्देश्य में विचार मंथन, सुबह 11.30 से दोपहर 1 बजे तक भोजन प्रसादी वितरण, दोपहर 1. से 4. बजे तक विश्राम, शाम 4 से 5 बजे तक विश्व शांति हेतु अनुष्ठान, शाम 5 से 6 बजे तक भोजन प्रसादी एवं रात्रि 8 से 9 बजे तक वेदवाणी सत्संग के बाद विश्राम किया जाता है।
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