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पवित्र क्षिप्रा में आस्था एवं भक्ति के साथ अलौकिक आनंद की हिलोरें अमृत महापर्व के तृतीय शाही-स्नान में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

उज्जैन सूर्य देवता अपने रथ पर सवार होकर जगत को आलोकित करने निकलें, उससे पहले ही पुण्य दायिनी क्षिप्रा में आस्था, भक्तिभाव एवं अलौकिक आनंद हिलोरें लेने लगा। अमरत्व के महापर्व सिंहस्थ में तृतीय व अंतिम शाही-स्नान के अवसर पर आसमान से उतरी धवल चांदनी ने भी मॉं क्षिप्रा के नीर को और भी अमृतमयी व सतरंगी बना दिया। तृतीय शाही-स्नान में संत-महात्माओं के साथ-साथ लाखों-लाख श्रद्धालुओं ने पत्रित्र सलिला क्षिप्रा में पुण्य स्नान किये। सनातन संस्कृति के प्रतिनिधि नागा
साधु ब्रह्म-मुहूर्त में ढोल-ढमाकों के बीच हाथी-घोड़ों और रथ पर सवार होकर अपने-अपने अखाड़े के ईष्ट देव, प्रतीक चिन्ह एवं लाल व भगवा रंग की धर्म ध्वजायें हाथ में लिये दत्त अखाड़ा घाट पर शान-बान के साथ शाही स्‍नान के लिए आये। परम पावन सिंहस्थ में शाही-स्नान के शुरूआत की अपनी परम्पराएँ हैं। उन्हीं परम्पराओं के अनुरूप बैशाख पूर्णिमा के पुण्य मुहूर्त पर शैव मतावलंबी अखाड़ों ने अमृतमयी क्षिप्रा में स्नान किये । मोक्षदायिनी क्षिप्रा में नागा एवं अन्य मतावलम्बी साधुओं द्वारा किये गये शाही स्नान से महान राष्ट्र की अदभुत एवं अद्वितीय संस्कृति जीवन्त हो उठी। सिंहस्थ की परम्परा के अनुसार पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदशनामी आवाहन अखाड़ा तथा श्री पंच अग्नि अखाड़ा के नागा साधु-संत एकसाथ विशाल एवं भव्य पेशवाई के साथ मोक्षदायिनी क्षिप्रा के दत्त घाट पर सबसे पहले स्नान करने पहुँचे। इसी कड़ी में श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा तथा श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के साधुओं ने और इनके बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा व श्री पंच अटल अखाड़ा के नागा साधुओं ने पवित्र क्षिप्रा में डुबकी लगाई। तृतीय शाही स्नान के लिएसबसे पहले पंचदशनाम जूना अखाड़ा के नागा
साधु-संत पहुँचे। परम्परा के अनुसार दशनामी पुरोहितों ने जूना अखाड़ा के ध्वज चिन्ह व इष्ट देवता का विधि-विधान से पूजन-अर्चना एवं स्नान करवाया। इसके बाद  मेला प्रशासन की ओर से नगर-निगम आयुक्त श्री अविनाश लवानिया ने जूना अखाड़े के इष्ट के लिये चाँदी के सिक्के का आसन सौंपा । तदुपरांत देवता स्नान और फिर अखाड़े के पंच ने स्नान किया। पंच स्नान होते ही नागा साधुओं ने भोलेशंकर का शंखनाद करते हुए पवित्र क्षिप्रा में सामूहिक रूप से डुबकी लगाई। अखाड़े के देवता को स्नान के बाद  दत्त अखाड़ा में हरिहर के स्थान पर स्थापित किया गया।दशनामी पुरोहितों द्वारा इसी तरह श्री पंचदशनामी आवाहन अखाड़ा, श्री पंच अग्नि अखाड़ा, श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा एवं श्री पंच अटल अखाड़ा के दल प्रमुख व पंच को पूजा-अर्चना करायी। इसके बाद सभी अखाड़ों के साधुओं ने पवित्र क्षिप्रा में स्नान किये। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष आचार्य स्वामी नरेन्द्र गिरि जी महाराज, स्वामी अवधेशानंद जी महाराज एवं अखाड़ा परिषद के सचिव स्वामी आनंदपुरी जी सहित अन्य संत-महात्मा शाही स्नान में शामिल हुए। जूना अखाड़ा के अलावा अन्य सभी अखाड़ों ने अपने-अपने इष्ट देवता को अखाड़ों की छावनी में पुन: स्थापित कराया। शाही स्नान में विभिन्न अखाड़ों से जुड़े साधु-संत लाव-लश्कर के साथ दत्त अखाड़ा घाट पहुँचे और क्षिप्रा में डुबकी लगाई। विभिन्न अखाड़ों तथा साधु-समागमों में बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालुओं ने भी स्नान किया।
शाही स्नान में जीवंत हुई हरिहर मिलन की परंपरा  पवित्र नगरी उज्जयिनी में हरिहर मिलन की ऐतिहा‍सिक परंपरा है । भगवान महाकाल की पालकी भी वर्ष में एक बार गोपाल मंदिर में जाती है और इस प्रकार देवों के देव महादेव और भगवान कृष्‍ण का मिलन होता है । उज्जयिनी की इस परंपरा के सज़ीव दर्शन शाही स्नान के दौरान हुए । परम पावनी क्षिप्रा के दत्‍त घाट पर शैव मतावलंबी और ठीक सामने रामघाट पर वैष्णव साधु-संतों को क्षिप्रा में एक साथ डुबकी लगाकर देखकर श्रद्धालु आनंद और उल्‍लास से अभिभूत हो गए । मेला प्रबंधन द्वारा अखाड़ा परिषद से श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर एक साथ शाही स्नान का आग्रह किया था । सिंहस्थ महाकुम्भ में अलग-अलग समय पर शैव व वैष्णव अखाड़ों के स्‍नान करने की परंपरा को श्रद्धालुओं के हित में  बदलने के लिए अखाड़ा परिषद सहर्ष तैयार हो गई ।
प्रभारी मंत्री ने किया स्वागत  सिंहस्थ मेले के प्रभारी एवं परिवहन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने भी शाही स्नान के लिए आये महंतों व साधु-संतों का पुष्पहारों से स्वागत किया। सिंहस्थ मेला केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह, संभाग आयुक्त डॉ रविन्द्र पस्तौर, एडीजी श्री मधु कुमार, कलेक्टर श्री कविन्द्र कियावत, मेला अधिकारी श्री अविनाश लवानिया, पुलिस अधीक्षक श्री मनोहर वर्मा व सहायक मेला अधिकारी श्री विवेक श्रोत्रिय ने भी साधु-संतों का स्वागत किया।
झलकियॉं
  • शैव तथा वैष्‍णव अखाड़ों ने क्रमश: दत्‍त अखाड़ा और राम घाट पर समानान्‍तर रूप से एक समय में स्नान किया।
  • सर्वप्रथम जूना अखाड़ा ने प्रात: तीन बजे दत्त अखाड़ा पर स्नान आरंभ किया।
  • सजे हुए हाथी के साथ आया जूना अखाड़ा का जुलूस, डमरू, दुंदभी, घंटी तथा शंख की ध्वनी से गुंजायमान हुआ सिंहस्थ।
  • स्नान के समय साधुगण उत्साह, उमंग तथा उल्‍लास से सराबोर थे। साधुगण ने क्षिप्रा में लगे बैरीकेट्स पर खड़े होकर डमरू बजाया और हर-हर महादेव का उदघोष किया।
  • पुण्य सलिला क्षिप्रा में लगाये गये प्रकाशमान फुव्वारों पर खड़े होकर साधुगण ने नदी तथा फुव्वारा स्नान का आनंद उठाया।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा फोटो प्रतियोगिता की घोषणा के परिणामस्‍वरूप बड़ी संख्या में युवा, शाही-स्नान की फोटो लेने के लिए आतुर थे।
  • जूना पीठाधीश्‍वर महामण्‍डेलश्‍वर स्‍वामी अवधेशानंद जी के छत्र के साथ आगमन के बाद फोटो-वीडियो लेने के लिए होड़ लग गई।
  • बड़ी-बड़ी जटायें, धूनी रमाये और माथे पर त्रिपुंड लगाये अद्भुत जीवन-शैली वाले नागा साधुओं को अपने कैमरे में कैद करने के लिए देशी एवं विदेशी छायाकार आतुर बने रहे।
  • शाही-स्‍नान के समय साधुगण भारतमाता-धरती मैय्या और क्षिप्रा मैय्या की जय के भी नारे लगा रहे थे।
  • शाही-स्नान में कई महिला-पुरूषों ने गेरूआ वस्‍त्र पहनकर पुण्य स्नान किया।
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