उज्जैन, 01 मई, 2016, सिंहस्थ में भारतीय परंपरा और आध्यात्म के प्रति विदेशी श्रद्धालु आकर्षित हो रहे हैं। कोई मोक्षदायिनी क्षिप्रा में आस्था की डुबकी लगा रहा है, तो कोई भजन-कीर्तन कर प्रसाद ग्रहण, तो कोई ध्यान-योग में शांति की अनुभति कर रहा है। सिंहस्थ में पहुँचे स्पेन, अमेरिका, ब्राजील और यूक्रेन के लोगों से मिलने और चर्चा करने पर यह बात सामने आई। सभी विदेशी राज्य सरकार द्वारा मेला क्षेत्र में की गई व्यवस्था की मुक्तकंठ सराहना कर रहे हैं। स्पेन के वार्सिलोना के ग्रेजुएट 30 वर्षीय श्री स्टेफेनो और 23 वर्षीय श्री आयटर कहते हैं कि कुम्भ का पवित्र आयोजन और इसके लिये सरकार द्वारा की गई व्यवस्था “फनटॅास्टिक” है। उज्जैन बहुत साफ-सुथरा शहर है। कुम्भ में आकर बहुत सुखद अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों की सामाजिक और धार्मिक समरसता तथा सहिष्णुता की भावना सराहनीय है।
अमेरिका के केलिफोर्निया राज्य के सेनफ्रान्सिस्को के श्री क्रस्टन क्षिप्रा में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ पवित्र डुबकी लगाकर शांति अनुभव कर रहे थे। श्री क्रस्टन ने कहा कि कुम्भ में आकर “पीस, ज्वाय, हैप्पीनेस” की अनुभूति हो रही है। ब्राजील के सानपाउलो की सिविल इंजीनियर सुश्री रीएल अपनी 09 साथी सुश्री ब्रूना, सुश्री येदू, सुश्री नाईस, सुश्री क्रीस, सुश्री आना, सुश्री मास्या, सुश्री सारा, सुश्री कारोल तथा सुश्री सिबंदा के साथ सिंहस्थ में पहुँची। रीएल तो स्थानीय सिद्धाश्रम के माध्यम से ध्यान से जुड़कर इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने अपना नाम बदलकर “सत्या” रख लिया। उन्होंने बताया कि क्षिप्रा के घाट बहुत सुंदर, रमणीय और साफ-सुथरे हैं। यहां रोशनी की व्यवस्था आकर्षक है। उन्होंने परिवहन, आवास और अन्य व्यवस्था की भी तारीफ की। यूक्रेन के कीव के सर्वश्री आंद्री रूदेमक और ब्लादमिर ज़ूरवलो दत्त अखाड़ा घाट पर ताली बजाते हुये कीर्तन करते मिले। उन्होंने कीर्तन के बाद प्रसाद ग्रहण कर साधु-संत के चरण स्पर्श किये तथा बताया कि भारत की विविधता और एकता सराहनीय है। कुम्भ का विशेष पर्व और यहां की पूजा-पद्धतियाँ उन्हें हमेशा से आकर्षित करती रही हैं। ध्यान, आत्मा और परमात्मा की भारतीय अवधारणा में उनकी गहरी रूचि है। उन्होंने भी यहां की व्यवस्था को “वेरी गुड” बताया।
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