उज्जैन एक मई 2016, आस्था और आध्यात्म के इस महाकुम्भ में परलोक सुधारने के साथ ही इस लोक को स्वर्ग बनाने का संदेश भी गली-गली, चैराहे-चैराहे और पंडालों में दिया जा रहा है। इसका बीड़ा उठाया है जनसम्पर्क विभाग के द्वारा भेजे गये नुक्कड़ नाटक और कठपुतली दलों ने। इसके लिए 50 दल और उनके कलाकार आमजन तक अपना संदेश पहुॅचा रहे है। कठपुतली के दल जगह-जगह ढोल-ढोलक के साथ लिंग-भेद समाप्त, कन्या भ्रूण हत्या को हतोत्साहित और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने का संदेश गीतों के माध्यम से दे रहे है। लोक गीत और स्थानीय बोली में दिये जा रहे संदेश श्रद्धालुओं को बहुत भा रहे है। जहॉ भी कठपुतली के ढोल के थाप की आवाज सुनाई देती है, वही दर्शकों का जमावाड़ा हो जाता है। जन-जागृति के सबसे पुराने और जनता में गहरी पकड़ रखने वाले इस माध्यम के लिए जनसम्पर्क विभाग द्वारा ढाई हजार से अधिक कलाकार को सिंहस्थ क्षेत्र में भेजा गया है।
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