उज्जैन, एक मई 2016 सिंहस्थ महापर्व में पावन क्षिप्रा के रामघाट पर पिछले दो दिन से स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को रामघाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं एवं यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई। इसके साथ ही बड़ी संख्या में मालवा अंचल व देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु भी स्नान कर आस्था और विश्वास का भाव लिए पंचक्रोशी यात्रा में शामिल हुए। उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के ग्राम इन्दौर निवासी रघुनाथ सिंह ने बताया कि वे पहली बार पंचक्रोशी यात्रा करने जा रहे है। उनके साथ 15 अन्य महिला-पुरूष भी यात्रा में शामिल हो रहे है। वे 5 दिन तक चलने वाली यात्रा में 118 किलोमीटर की दूरी तय कर चैरासी महादेव के दर्शन कर परिक्रमा को पूरी करेंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सिंहस्थ-कुम्भ होने से पंचक्रोशी यात्रा का महत्व बढ़ गया है। वे रामघाट पर स्नान कर गोपाल मंदिर जाकर भगवान से शक्ति देने के लिए प्रार्थना करेंगे किउनकी यात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न हो जाए। उन्होने रामघाट पर स्नान के लिए की गई व्यवस्थाओं की प्रशंसा की और बताया कि इस बार सिंहस्थ में बहुत अच्छी सुविधाएं मध्यप्रदेश सरकार ने उपलब्ध करवाई है। आगर जिले से पंचक्रोशी यात्रा में शामिल प्रभुलाल पिता माधु भी अपने भाव छिपा नही पाए और खुद आगे आकर सिंहस्थ की व्यवस्थाओं की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि वह भी पहली
बार पंचक्रोशी यात्रा करने जा रहे है। लोगों का ऐसा मत है कि पंचक्रोशी यात्रा करने से पाप नष्ट हो जाते है और पुण्य-लाभ के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। जयपुर से श्रद्धा व आस्था का भाव लिए सिंहस्थ महाकुम्भ में पहॅुचकर रामघाट पर स्नान के बाद अपनी भावना व्यक्त करते हुए मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर के एसोशिएट प्रोफेसर डा0 रमेश कुमार रावत ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सिंहस्थ कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की गई है। साफ-सफाई व सुरक्षा की व्यवस्थाएं काबिले तारीफ है। उन्होंने बताया कि व्यवस्थाओं में लगी पुलिस व ट्रेफिक के जवान भी एक तरह से मानव-सेवा में लगे है, उनका व्यवहार भी काफी अच्छा है। वे रास्ते में आने-जाने वाले श्रद्धालुओं का बड़े आदर-भाव से मार्गदर्शन कर रहे है। मध्यप्रदेश सरकार की व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हाल ही में नासिक कुंभ में भी भाग लिया था और पाया कि वहां से अच्छी व्यवस्थाएं उज्जैन सिंहस्थ में की गई है। पावन क्षिप्रा मैया के जल में जीरो बैक्टीरिया के प्रयासों को भी सराहा और बताया कि रामघाट पर निर्मल, स्वच्छ जल में स्नान कर उनका मन गद-गद हो गया।
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