उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ की नागरिक एवं प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं में तैनात सभी शासकीय सेवक अपने दायित्वों का निर्वहन सेवा-भावना से कर रहे हैं। चाहे वह तपती धूप में कार्य करने की बात हो, चाहे अर्धरात्रि में चौराहों में यातायात नियंत्रण, घाटों पर श्रद्धालुओं के सुरक्षित स्नान की व्यवस्था और चाहे किसी भी विपरीत परिस्थिति में लोगों की सहायता। पुलिस, स्वास्थ्य, होमगार्ड, स्वयं-सेवी संस्थाएं, सफाई-व्यवस्था तथा हर व्यवस्था पर पैनी नज़र रखने वाले लोग सभी रोजाना सोलह से अठारह घंटे सेवाऐं दे रहे हैं। इन्हें न तो परिवार की चिंता है और न ही किसी सुविधा की चाह। जुनून है है बस इस पर्व में आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा का। सबका कहना है कि ”सेवा का यह अवसर मिलने से जीवन धन्य हो गया है।” कठिन ड्यूटी के बाद भी राज्य सरकार द्वारा सेवा का अवसर प्रदान कराने के लिए कृतज्ञता का भाव ही प्रदर्शित हो रहा है। तभी तो किसी भी शासकीय सेवक के माथे पर थकान की शिकन तक दिखाई नहीं देती है। हर स्तर पर सेवा के ज़ज्बे के साथ शासकीय सेवक ड्यूटी में मुस्तैद दिखाई देते हैं। इनका श्रद्धालुओं के साथ सद्व्यवहार, उम्दा मार्गदर्शन तथा पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य करना सिंहस्थ कुंभ में आ रहे श्रद्धालुओं को काफ़ी प्रभावित कर रहा है। पुलिसकर्मी व्हिसिल बजाकर अपना संदेश देते हैं। सबके साथ समान व्यवहार तथा श्रद्धालुओं द्वारा उनके निर्देशों का पालन करना एक सभ्य एवं अनुशासित समाज की परिकल्पना को साकार करता है। चप्पे-चप्पे पर नागरिक सुरक्षा के लिए पुलिस का पहरा एक अच्छी व्यवस्था का परिचायक है।
क्राउड कंट्रोल में व्हिसिल की महती उपयोगिता जब शिप्रा के घाटों पर श्रद्धा की डूबकी लगाने श्रद्धालु सीढ़ी पर पहला कदम रखते हैं, तो पुलिस होमगार्ड, स्वयं-सेवी संस्थाएं, राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा प्रबंधन के ज़वान किसी भी अनहोनी को रोकने हेतु मानीटरिंग शुरू कर देते हैं। चारों ओर से बजने वाली सीटियों से कई बार श्रद्धालु आश्चर्य चकित हो जाते हैं। जब उनकी समझ में आता है कि यह सीटियाँ सुरक्षा, साफ-सफ़ाई तथा अन्य श्रद्धालुओं को स्नान का शीघ्र अवसर प्रदान करने के लिए विनम्र निवेदन हेतु बजाई जा रही हैं, तो वह क्षण उनके लिए यादगार बन जाता है। घाटों, तिराहों एवं चौराहों सहित अन्य भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में खोया-पाया केन्द्र दिन-ब-दिन उमड़ती भीड़ में बिछड़े लोगों को परिजनों से मिलाने में सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। घाटों एवं पूरे मेला क्षेत्र में विषम परिस्थितियों में साफ-सफाई व्यवस्था को अंजाम देने वाले सफाईकर्मियों का अपनी धुन में रहकर कर्तव्यों का कड़ाई से निर्वहन करना सभी को प्रभावित करता है।
यादगार रहेगी सिंहस्थ महाकुंभ की ड्यटी सिंहस्थ महापर्व में तैनात शासकीय सेवक यहां की सुनहरी यादों को संजोंने में लगे हैं। विभिन्न क्षेत्रों से आकर एक-साथ टीम-भावना से कार्य करना तथा एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हुए अपने अनुभवों को बांटना यादगार बनता जा रहा है। सभी सेवक पूरे मेला क्षेत्र की प्रतिदिन की खबरों एवं अनुभवों का आपस में आदान-प्रदान भी करते रहते हैं। यह ड्यूटी को और बेहतर तरीके से करने की प्रेरणा देता है। सिंहस्थ महाकुंभ में समाज के अलग-अलग क्षेत्रों, अलग-अलग विधाओं के विशेषज्ञों तथा स्वयं-सेवी संस्थाओं का एक-साथ मिलकर काम करना जीवन के अंतिम क्षणों तक के लिए यादगार बन गया है। साधु-संतों की अमृतवाणी, भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से अवगत कराने के प्रयास तथा श्रद्धालुओं को मिल रहा स्नेह और आश्रमों में उनकी सुख-सुविधाओं की चिंता भारतीय गौरवशाली परंपराओं का जीवंत उदाहरण है।
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